कालमेघ की खेती कैसे की जाती है? Kalmegh ki Kheti Kaise Karen

कलमेघ की खेती कैसे करें

किसान भाइयों हमारे देश मे ओषधीय पोधो की खेती वर्षो से की जा रही है ओषधीय पोधे आयुर्वेदिक दवाइया बनाने  में काम आती है बहुत से ऐसे किसान भाई है जो ओषधीय पोधो की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं 

किसान भाइयों जहा ओषधीय पोधो की बात आती है तो वहा कालमेघ भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है कालमेघ  भी एक अच्छा ओषधीय पौधा है जिससे बहुत से प्रकार की दवाइयां बनाने में उपयोग किया जाता है अगर आप भी कालमेघ की खेती करना चाहते हैं तो कुछ खास बातों का धियान रखना चाहिए. 

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कालमेघ का उत्पादन 

कालमेघ का उत्पादन आंध्रप्रदेश, आसाम, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य्प्रदेश, केरल, उड़ीसा , जम्मूकश्मीर, कर्नाटक , गुजरात, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, में कालमेघ की खेती की जाती है मध्य्प्रदेश में इसकी खेती खेतु बहुत ज्यादा की जाती है 

कालमेघ को किस नाम से जाना जाता है 

कालमेघ को कल्पनाथ भी कहते हैं

इसको देशी चिरायता भी कहते हैं

हरा चिरायता भी कहते हैं

बेलवेन  भी कहा जाता है

ओर किरयत नाम से भी जाना जाता है 

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कालमेघ की  जानकारी | Kalmegh Ki Jankari 

कालमेघ बहुवर्षीय पादप है एक बार लगाने के बाद कई सालों तक चलता है आयुर्वेद , होमियोपैथी, वह देशी दवाइयों में इसका उपयोग किया जाता है। 

इसका तना सीधा होता है, इसके चार शाखाये होती है। पतिया हरि होती है पतियो की लंबाई 5 से 8 सेंटीमीटर होती है और चोड़ाई 1 से 1.25 सेंटीमीटर होती है। इसके फूल छोटे  गुलाबी होते हैं तथा स्वाद कड़वा होता है। 

कालमेघ के उपयोगी भाग

कालमेघ के काम मे आने वाले तना , पति,  पुष्प , सहित सम्पूर्ण पादप उपयोग में आता है। भारतीय चिकित्सा पदति में दिव्य गुणकारी ओषधीय मानी गई है। 

कालमेघ के फायदे क्या है? Kalmegh ke Fayde

किसान भाइयो कालमेघ एक गुणकारी पोदा है जो स्वास्थ्य में बहुत लाभदायक है 

1. कालमेघ एक ज्वरनाशक हैं इसके उपयोग से बुखार को खत्म कर देता है इसके लिए कालमेघ की पतिया का रस उपयोग में लिया जाता है 

2. कालमेघ का उपयोग पिलाया में काम लिया जाता है 

3. सिर दर्द में पेचिस में काम लिया जाता है 

4. रक्त शोदक ( रक्त साफ करने में काम लिया जाता है )

5. कालमेघ विषनाशक है ( कालमेघ के उपयोग से जहर को खत्म कर देता है )

6. पेट की बीमारियों में काम आता है

7. कालमेघ का मलेरिया रोगों में भी उपयोग किया जाता है

8. शवसन रोगों में भी उपयोगी है 

9. कालमेघ को यकृत सम्बदित समस्या में भी काम मे लिया जाता है 

10. कालमेघ की जड़ का उपयोग भूख लगने वाली दवाइयों में किया जाता है

11. पेट मे गैस , अपच, या बचो के पेट मे कीड़े है तो इसके  उपचार में काम लिया जाता है

12. कालमेघ का रस पितनाशक होता है 

13. एल्कोहलिक व न्यूट्रिसन सिरहोसीस के उपचार में उपयोग है

14. सरसो के तेल के साथ मलहम बनाकर दाद , खाज, खुजली में उपयोगी है 

15. कालमेघ सर्दी जुखाम में उपयोगी हैं

16. खाव, फोड़ा भुनसी में लाभदायक है कालमेघ को पानी मे उबालकर उस पानी से खाव को साफ करने से खाव जल्दी ठीक हो जाता है 

17. गैस वह एसिडिटी में कालमेघ के पतो का रस पानी मे मिलाकर पीने से लाभकारी है 

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कालमेघ की किस्मे 

कालमेघ की 2 किस्म प्रचलित है 

1. सिम मेघा 

यह C I M A P लखनऊ से वेरायटी निकली है 

2.  आनंद काल मेघा – 1

यह वेरायटी  आनंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी गुजरात से निकली है 

कालमेघ की खेती की जानकारी | कालमेघ की खेती से जुड़ी जानकारी

जलवायु 

उष्णकटिबंधीय ओर उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु उपयुक्त रहती है 

मिट्टी 

बलुई मिट्टी सबसे अच्छी है 

मिट्टी अच्छी जल निकास वाली होनी चाहिए

प्रबन्धन ( प्लांट की तैयारी )

इसका बीज छोटा होता है 5 से 6 महीने सुसुक्त वस्ता में रहता है इसका  ऐसा बीज उपयोग में ले जो कि 70 से 80 % अकुंरण हो

कालमेघ की नर्सरी मई के तीसरे सप्ताह में लगाए 

1 हेक्टेयर नर्सरी के लिए 400 ग्राम बीज की जरूरत पड़ती है 

3 x 3 मीटर  के नर्सरी बेड में लाइनों में बुवाई करे

30 से 35  दिन बाद पोधा तैयार हो जाता है 

रोपण खेत मे 

कालमेघ की खेत मे रोपाई जून से जुलाई तक कर सकते हैं 

जब पोधा की ऊँचाई 8 से 10 सेंटीमीटर हो जाए तो खेत मे लगा सकते हैं 

कतार से कतार की दूरी 30 से 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए

अधिकांस तर तो कतार से कतार की दूरी 30 x 30 सेंटीमीटर रखते हैं 

ओर पोधे से पोधे की दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर होनी चाहिये 

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 खेत की तैयारी

किसान भाइयों आपको मालूम होगा कि कोई भी फसल बोने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करने की आवश्यकता होती है 

इसके लिए सबसे पहले खेत मे 2 से 3 बार कल्टीवेटर से जुताई कर देनी चाहिए 

उसके बाद 15 टन गोबर की सडी गली खाद या 2.5 टन वर्मी कम्पोस्ट डाल दे 

उसके बाद एक बार भीर से कल्टीवेटर से जुताई कर दे जिससे खाद अच्छी तरह मिल जाये

उसके बाद पाटा/ सुवगा लगा कर खेत को समतल कर दे 

उसके बाद आप कालमेघ की रोपाई सुरु कर सकते हैं

खाद व उर्वरक 

कालमेघ की खेती में 10 से 15 टन सडी गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट 2.5 क्विटल डाले

उसके अलावा 80 किलो नाइट्रोजन ओर 40 किलो फास्फोरस डाले इसको 2 से 3 बार मे डाले एक साथ नही डालनी

अगर जमीन हल्की है तो आप 30 किलो  पोटास का उपयोग कर सकते हैं 

ज्यादातर ओषधीय पोधो में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नही करना चाहिए 

कालमेघ में सिचाईं 

कालमेघ की फसल में ज्यादा पानी की आवश्यकता नही होती

बारिश के मौसम में सिचाईं की आवश्यकता नही होती 

अगर बारिश नही होती तो 3 से 4 सिचाईं की आवश्यकता पड़ती है 

रोग नियंत्रण

कालमेघ के पोधो में ज़्यादातर कोई रोग नही लगते हैं 

अगर घूमक दिखाई दे तो हल्की सिचाईं से इसका नियंत्रण किया जा सकता है 

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कालमेघ की कटाई 

कालमेघ के सितम्बर में पुष्प आने शुरु हो जाते है

दिसम्बर में फूल वह फलिया आ जाती है साउथ इंडिया में यह कार्य अक्टूबर के अंत से फ़रवरी मार्च तक होता है

कालमेघ 120 से 130 दिन की फसल हो जाने पर कटाई कर सकते हैं 

50 पर्तिशत फूल आने पर फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है इस समय पतिया गिरनी शुरु हो जाती है 

कालमेघ में पोधे की कटाई 5 सेमी. ऊपर से करनी चाहिए 

कालमेघ के पौधा इतना कड़वा होता ह की इसकी कटाई करते समय मुह खारा हो जाता है इस लिए मुह में मीठी / सन्तरे वाली  गोली रखनी पड़ती है 

पोधे की कटाई के बाद छटाई – पोधे को छायादार स्थान पर सुखाए 

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कालमेघ की उपज : 

अगर मानसून सही है 6 से 9 क्विटल पतिया उपज मिलती है 

पतियो का भाव लगभग 4000 के पास है 

यह भाव कम या ज्यादा होता रहता है 

अगर कालमेघ का बीज लेना है तो इसको पका लेते हैं 

पकाने के लिए  बाद लगभग डेड से 2 क्विटल बीज प्राप्त हो जाता 

कालमेघ का अधिक उत्पादन कैसे ले

इसकी खेती मुख्य फसल के रूप में तो कर सकते हैं इसके अलावा इसकी खेती बगीचे में या अन्य फसल  के साथ भी कर सकते हैं 

बगीचे में कालमेघ की खेती करना ज्यादा फायदेमंद है, क्यो की खुले खेत की तुलना में कालमेघ छायादार स्थानों में अधिक उत्पादन देता है। 

नॉट – इसके  अलावा आप ओषधीय पोधो की खेती के बारे में एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट से सलाह लेकर ही करे, जिससे आपके एरिया के हिसाब से खेती की जाए और फसल में किसी भी प्रकार का कोई नुकसान ना हो। कालमेघ की खेती के बारे में लगभग सभी जानकारी दे दी है जिससे आप  एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट से हर तरह की सलाह ले सकते हैं

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निष्कर्ष – 

दोस्तो आज के इस आर्टिक्ल में हमने आपको कालमेघ की खेती कैसे की जाती है इसके लिए कौनसी जलवायु सबसे बढ़िया रहती है और इसकी खेती करने के क्या फायदे है इसके बारे में विस्तार से समझा दिया है। अगर आपको कालमेघ की खेती से जुड़ी कोई अन्य जानकारी यां फिर कोई सहायता चाहिए तो आप हमें कमेंट में पूछ सकते है। 
आपको बता दूँ की कालमेघ एक औषधीय फसल है इसलिए आपको इसकी खेती करने से पूर्व कृषि विभाग से पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए। 
मैं खुद किसान परिवार से हूँ और मैंने देखा की इंटरनेट पर किसानो की सहायता करने वाली कोई भी हिन्दी वैबसाइट नहीं है इसलिए मैं किसानों की सहायता के लिए इस वैबसाइट पर बहुत रिसर्च करके जानकारी लाता हूँ तो आपका भी एक फर्ज बनता है की आप अपने Social Media जैसे Facebook, WhatsApp पर शेयर करें।

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kulwant singh bhati
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