
काली मिर्च की खेती कैसे करें
काली मीर्च के पोधे का मूल स्थान दक्षिण भारत को माना जाता है
भारत से बाहर इंडोनेशिया , इंडोचीन ,मलय ,लका , ओर आसाम में भी इसकी खेती की जाती है
काली मिर्च का उपयोग आयुर्वेद में प्राचीन काल से चलता आ रहा है
काली मिर्च का भरतीय वेजनो में प्रमुख स्थान है
काली मिर्च का पौधा बारह मासी होता है
इसकी उम्र 25 से 30 साल की होती है
काली मिर्च की कलम काट भी बोई जाती है
माली मिर्च के पोधे तीसरे साल फल देने लग जाते हैं
काली मिर्च के लगभग 700 पौधा 1 एकड़ में लगते हैं
जिससे 1 साल में 70 लाख तक कि पैदावार कर सकते हैं
काली मिर्च की खेती में मेहनत भी कम लगती है
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काली मिर्च की प्रकिया
सूखने पर प्रत्येक पोधे से साधारण तय 4 से 5 किलोग्राम तक गोल मिर्च मिल जाती है
इसके प्रत्येक गुच्छे पर 50 से 60 दाने रहते हैं
पकने पर इन गुछो को उतार लिया जाता है
फिर हथेलियों से रगड़ कर गोल मिर्च के दाने को अलग किया जाता है
ओर 5 से 6 दिन धूप में सूखने दिया जाता है
जिससे इसका रंग गहरा काला हो जाता है
काली मिर्च की किस्मे (काली मिर्च की खेती कैसे करें)
1. पन्नयुर -1
2. पन्नयुर – 3
3. पन्नयुर – 8
4. पन्नयुर iisr- गिरीमुड़ा
5. Iisr मलबार एक्स
काली मिर्च पर रोग नियंत्रण kali mirch me rog niyantran
1.फाइटोफथोरा रोग
काली मिर्च के पोधो के पतो पर तनो पर जड़ो में यह रोग दिखा जाता है
इसके सक्रमण से पतो पर काले रंग की चिति के निशान पड़ जाते हैं
यह निशान धीरे धीरे बढ़कर पूरी पति पर फेल जाता है
इस रोग के कारण पति सड़ कर गिर जाती है
इसके सक्रमण से तने पर काले रंग का निशान पड़ जाता है
इसकी रोकथाम के लिए बोर्डियो मिश्रण ओर कॉपर ऑक्सिक्लोराइड से मासिक अंतराल पर पौधों के आधारित भाग की मिट्टी को उपचारित करे
मेटालेक्सिल – मेंकोजीव या पोटेसियम फास्पोनेट का भी उपयोग कर सकते हैं
पोधो के ऊपर रासायनों का छिड़काव करके रोग से बचाना चाहिए
2. एन्थ्राक्नोज रोग
यह रोग कोलोटोट्राईकम ग्लोयोस्पोरोयाडस नामक कवक द्वारा होता है
यह कवक पतो को हानि पहुचाता है
इसके सक्रमण से पतो पर भूरे पिले से काले भूरे रंग की अनियमित चीतियां पड़ जाती है
यह रोग पते ओर तने दोनों को हानि पहुचाता है
जिससे काले रंग के निशान पड़ जाते हैं ओर सुख कर गिर जाता है
3. मूल मलानी रोग
यह रोग जून से सितंबर महीने में स्केलेरोटियम रोलफसी नामक कवक द्वारा होता है
इस रोग के कारण तना खोखला हो जाता है
पतिया सुख कर गिरने लग जाती है
इसको शुरू में फाइटो सेनिटरी द्वारा रोका जा सकता है
पोधो में बोर्डियो मिश्रण या कार्बेनडाजिम का छिड़काव करें
4. विषाणु रोग
वेन क्लियरिंग, मोसाईक, पिले दाग ओर पतो का आकार में छोटा होना विषाणु सक्रमण के मुख्य लक्षण है
रोग रहित रोपण सामग्री का उपयोग करना चाहिये
काली मिर्च की सचाई
ग्रीष्म काल मे 15 दिन के अंतराल पर काली मिर्च के पोधो की सिचाईं करे।
सिचाईं करने पर असहित पोधे की तुलना में 90 से 100% तक अधिक उपज प्राप्त करता हैं
काली मिर्च की खेती कैसे करें | kali mirch ki kheti kaise kare
काली मिर्च के लिए जलवायु ओर मिट्टी
काली मिर्च की खेती उत्तर और दक्षिण में समुद्र तट से 1500 मीटर की ऊँचाई पर की जा सकती है
काली मिर्च का पौधा न्यूनतम तापमान 10℃ ओर अधिकतम 40℃ तापमान को सहन कर सकती है
इसकी खेती के लिए 23℃ से 32℃ तापमान उचित है
काली मिर्च की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है
इसकी खेती के लिए लाल लेटराइट मिटटी सबसे उपयुक्त मानी जाती है
मिट्टी का ph मान 5.5 से 6.5 के बीच अनुकूल माना गया है
काली मिर्च के फायदे
काली मिर्च पाचन सकती को बढ़ाता है
काली मिर्च खाने से वजन कम हो जाता हैं
जिसका गला खराब हो या सर्दी हो तो काली मिर्च का सेवन करना चाहिए
जोड़ो के दर्द में भी काली मिर्च बहुत लाभदायक है काली मिर्च में एटी ऑक्सीडेंट पाई जाती है
काली मिर्च की खेती कैसे करें
काली मिर्च की खेती कैसे करें
काली मिर्च की खेती कैसे करें
काली मिर्च की खेती कैसे करें
निष्कर्ष।
दोस्तो आज हमने आपको काली मिर्च की खेती के बारे में बताया है जिसमे आपको काली यह बताया है कि काली मिर्च की खेती कैसे की जाती है ओर इसमे अलावा काली मिर्च की खेती कहा कि जाती है किस समय की जाती है वह काली मिर्च के फायदे क्या है इस तरह की जानकारी देने की कोससी की है
काली मिर्च की खेती कैसे करें
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