गर्मियों में कम पानी की आवश्यकता वाली फसलें बीजकर कैसे अधिक मुनाफा कमाएं?

kam pani wali fasal

किसान भाइयों क्या आप भी कम लागत में अधिक मुनाफा वाली फसल लगाना चाहते हो साथ ही गर्मियों के दिनों में किसानों को पानी की बहुत समस्या आती है जिससे किसान भाई अधिक पानी वाली फसल की बुवाई नही कर सकते। 

अगर अधिक पानी वह लंबी अवधी वाली फसल की बुवाई कर भी लेते हैं तो पानी की कमी के कारण फसल खराब हो जाती है। आप कम पानी की फसल लगा सकते हो जिससे आप एक बड़ी फसल के बजाए 2 छोटी फसल ले सकते हो ओर अधिक वह अच्छी पैदावार उठा सकते हो। 

ऐसी अनेक फसलें है जो कम पानी पर भी अधिक और अच्छी पैदावार देती है। अगर आपके खेतों में पानी से जुड़ी समस्या है यां नहर का पानी समय पर नहीं आता है तो आप हमारे द्वारा नीचे बताई गयी किसी भी फसल को लगा सकते है। इन फसलों में आपको कम पानी देने की जरूरत है और आपकी पैदावार भी बढ़िया होगी तो चलिये जानते है इसके बारे में। 

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कम पानी की फसलें कौनसी है जानिए? Kam Pani Wali Kheti Kaunsi Hai

मक्का – 

मक्का की वेज्ञानीक तरीके से खेती करके अच्छा खासा लाभ कमा सकते हैं।  मक्का ना केवल इंसान के खाने के काम आता है इससे oil भी बनाने के काम आता है यथा  पशुओ के चारे में भी काम आता है। इसके अलावा मक्का  चॉकलेट पोपकोर्न आदी काम मे आता है इस हिसाब से देखे तो मक्का की खेती करने से बहुत अच्छा लाभ मिलता है। 

मक्का की खेती कैसे करे – 

मक्का की बुवाई करते समय 18 से 30 डिग्री तापमान होना चाहिए। मक्का की खेती के लिए PH मान 6.5 से 7.5 के मध्य उपयुक्त मानी जाती है। 

भारत मे मक्के की खेती 3 ऋतू में की जा रही है, खरीफ की फसल  जो कि जून से जुलाई तक कि जा सकती है। रबी की फसल जो कि अक्टूबर से नवम्बर तक कि जा सकती है और जायद की फसल जो कि फरवरी से मार्च तक कि जाती है। 

मक्के की बुवाई से पहले बीज को चेक कर ले साथ ही साथ बीज को उपचारित करके बीजे। मक्के की बुवाई 4 से 6 cm गहराई में करनी चाहिए।

मक्के को पानी की आवश्यकता कम होती है जब मक्के मे दाना निकलना शुरू हो जाये उस समय पानी की आवश्यकता पड़ती है अगर बीज में आप को लगे कि पानी की आवश्यकता है तो आप पानी दे सकते हैं

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मक्का की किस्मे – 

गंगा 5 : यह किस्म 100 से 110 दिन में पककर तैयार होती है और यह 60 से 90 क्विटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देता है। 

गंगा -11 : यह किस्म 100 से 110 दिन में पककर तैयार होती है यह किस्म भी आपको 70 से 80 क्विटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देता है।

गंगा सफेद -2 : यह किस्म 110 से 120 दिन में पककर तैयार होती है। वह 55 से 60 क्विटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देता है। 

डेक्कन -101 : यह किस्म 115 से 125 दिन में पककर तैयार होती है, वह 65 से 70 क्विटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देता है। 

डेक्कन – 103 : यह किस्म 120 से 125  दिन में पककर तैयार होती है, वह 60 से 64 क्विटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देता है। 

सम्राट : यह किस्म 70 से 90 दिन में पककर तैयार होती है। 

मक्का का बीज खरीदें : 


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कम पानी वाली फसलों के बारे में विडियो देखकर जाने

मूग की खेती – 

मूग की खेती के लिए शुष्क ओर गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है, इसके लिए हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। मूग की बुवाई 15 फरवरी से 15 मार्च तक उपयुक्त माना जाता है मूग की बुवाई के लिए  15 से 20 क्विटल प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है। 

मूग की किस्मे – 

मूंग की काफी सारी ऐसी किस्में है जो बहुत कम पानी के अंदर अच्छी पैदावार देती है और रोग भी कम लगते है इनमे से कुछ इस प्रकार है : – 

K – 851 : यह मूग को लोकप्रिय वेरायटी है, यह 60 से 65 दिन में पककर तैयार होने वाली किस्म है। यह 12 से 14 क्विटल प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है। इसका दाना मोटा ओर  चमकदार होता है।

MUM – 2 : यह 60 से 70 दिन में पककर तैयार होती है, 14 से 16 क्विटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है।

RMG – 492 : यह 16 से 18 क्विटल प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है, 65 से 70 दिन में पककर तैयार होने वाली किस्म है

RMG – 262 : 12 se 13  क्विटल  प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है,  65 से 70 दिन में तैयार होने वाली किस्म है

IPM -02-03 : 10 se 12 क्विटल  प्रति हेक्टेयर पैदावार देती है, 60 से 70 दिन में तैयार होने वाली किस्म है। 

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उड़द की खेती – 

उड़द की खेती करने का सही समय मार्च से अप्रेल का है इसके बाद आप अन्य फसल की बुवाई भी कर सकते हो। उड़द की खेती में ज्यादा पानी की आवश्यकता नही होती इसके लगभग 3 से 4 पानी की आवश्यकता होती है।उड़द की खेती को कम खर्च पर की जा सकती है, उड़द की खेती लगभग 2 माह में  तैयार हो जाती है। 

उड़द की किस्मे –

टी – 9 :  यह किस्म 70 से 75 दिन में तैयार हो जाती है, यह किस्म मोजेक रोग से प्रतिरोधी है

पंत यू 19 : यह किस्म 80 से 85  दिन में तैयार हो जाती है इस किस्म में पिला मोजेक रोग नही लगता

पंत यू 30 :  यह किस्म भी 80 से 85 दिन में तैयार हो जाती है

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लोबिया की खेती – 

लोबिया की खेती हरी सब्जी , हरे चारे ओर हरि  खाद  के लिए किया जाता है, लोबिया की खेती के लिए गर्म और आदर जलवायु की आवश्यकता होती है। बीज के विकास के लिए न्यूनतम तापमान 20 डिग्री ओर अधिकतम तापमान 32 डिग्री होना चाहिए, लोबिया की बुवाई फरवरी माह से कर सकते हैं। 

लोबिया की किस्मे – 

  1. काशी गोरी
  2. काशी उन्नति
  3. पूसा सुकोमल
  4. पूसा कंचन

इसकी बुवाई के समय बीज 20 से 25 किलो लगता है रोग रोधि किस्म की बुवाई करनी चाहिये जिससे मोजेक रोग नही लगता । रोग रोधि किस्म ना होने पर फलिया पीली पड़ जाती है फली कम लगती है फूल कम आते हैं। 

फलियों का विकास रुक जाता है पूसा सुकोमल ओर पूसा कंचन दोनों मोजेक रोधी किस्म है इसकी बुवाई करने के अच्छा उत्पादन होता है। 

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मेंथा की खेती : 

मेंथा को  आम भासा में पुदिना कहते हैं, पोदीना गर्मी में बहुत लाभदायक है इसका मुख्य उपयोग ओषधीय में किया जाता है। 

इसकी बुवाई का सही समय 15 जनवरी से  15 फ़रवरी का होता है,  इसकी कुछ किस्मो की बुवाई आप मार्च तक भी कर सकते हैं। इसकी सिचाईं मेंथा लगाने के तुरत बाद कर देनी चाहिए, इसके बाद हर सप्ताह में सिचाईं की जा सकती है। 

मेंथा की जड़ो को दीमक से  बचाने के लिए उपाय करें, अगर किसी दवा का उपयोग करना है तो क्रषि विसेसज्ञ की सलाह जरूर ले। 

भारत मे लगाई जाने वाली पुदीना की उतम किस्मे : 

  1. सिम क्रन्ति
  2. कोसी
  3. एच. वाई – 77
  4. गोमती
  5. शिवालिक

निष्कर्ष – 

दोस्तो इस आर्टिक्ल में मैं किसान भाइयों के लिए गर्मी के अंदर कम पानी में पकने वाली फसलों की लिस्ट लेकर आया हूँ। अगर आपके पास भी खेती के लिए प्रयाप्त पानी की सुविधा नहीं है तो आप इन ऊपर बताई गयी फसलों की कम पानी के अंदर भी अच्छी पैदावार कर सकते है। 
ज़्यादातर राजस्थान के अंदर पानी की कमी देखने को मिलती है तो आप राजस्थान के किसान भाई है तो आपको मूंग बाजरे की उत्तम क़िस्मों की खेती करनी चाहिए ताकि आपको कम पानी लगाने की जरूरत हो। तो कमेंट में बताना न भूलें की आप अपने खेत में कौनसी फसल बौने वाले है। 

मैं खुद किसान परिवार से हूँ और मैंने देखा की इंटरनेट पर किसानो की सहायता करने वाली कोई भी हिन्दी वैबसाइट नहीं है इसलिए मैं किसानों की सहायता के लिए इस वैबसाइट पर बहुत रिसर्च करके जानकारी लाता हूँ तो आपका भी एक फर्ज बनता है की आप अपने Social Media जैसे Facebook, WhatsApp पर शेयर करें।

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kulwant singh bhati
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