आज हर कोई सब्जी की खेती करना चाहता है क्यो की इसमे अच्छी आय प्राप्त हो जाती है इसी को धियान में रखते हुए पेठा की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं पेठा की खेती कम लागत में की जा सकती है जिसके कारण हर किसान पेठा की खेती करना चाहता है पेठा की खेती कर के अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं
पेठा सब्जी में तो पहचान रखता ही हैं इसके साथ साथ ओषधीय ओर मिठाई में भी अग्रणीय है
पेठा की खेती करने का समय kaddu ki kheti kab hoti hai
इसे हम 2 बार बुवाई कर सकते है
जनवरी से मार्च तक ओर जून से अगस्त सितम्बर तक
पेठा की खेती भारत वर्ष में वर्षो से चली आ रही है खास बात तो यह कि पेठा की खेती आयु 1 साल की होती है
पेठा विशव भर में उगाई जाने वाली फसल है
पेठा की खेती के किये जलवायु
गर्म वह अधिक आद्रता वाली जलवायु कदु पेठा की खेती के लिए सर्वोत्तम है
बीज के अकुंरण वह पोधे के बड़वार के लिए 25 से 27 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा होता है
बुवाई के समय तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस होने पर अकुंरण एक सप्ताह में हो जाता है
फूल आने के समय वर्षा आ जाने पर फसल कम होती है
पेठा की खेती के लिए मिट्टी
पेठा की खेती के लिए खेती अच्छी जल निकास वह जीवशयुक्त्त बलुई दोमट मिटटी कदु पेठा के लिए सर्वोत्तम है
बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर ले
इसके लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए
इसके बाद 3 से 4 जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करनी चाहिए
ताकि मिट्टी भुरभुरी ओर हवा युक्त्त हो जाये इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल बना लेना चाहिये
पेठा की किस्मे
- पूसा विसवास
- पूसा विकास
- कल्याणपुर पम्पकिन-1
- नरेंद्र अम्रत
- अर्का सूर्यमुखी
- अर्का चंदन
- अम्बली
- सी एस 14
- पूसा हाइब्रिड़-1
पेठा की बुवाई करने की विधि petha ki kheti kaise karen
खेत में 200 से 250 क्विटल गोबर की सडी गली खाद का छिड़काव कर दे इसके बाद 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस ओर 60 किलोग्राम पोटास प्रति हेक्टेयर डालनी चाहिए
नाइट्रोजन की आधी मात्रा फॉस्फोरस ओर पोटास की पूरी मात्रा जुताई के समय डालनी चाहिए
नाइट्रोजन की बची हुही मात्रा 2 बार मे डाले
एक जब पोधे के 4 से 5 पति आ जाये और दूसरी बार जब फूल आये उस समय देनी चाहिए
कदु पेठा की अधिक उत्पादन लेने के लिए बीज की सही मात्रा ओर बीज उपचार किस तरह करे आइये जानते हैं
पेठे की खेती के लिए बीज की मात्रा 4 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से उपयोग में ले बीज को हमेशा उपचार कर के बुवाई करे उपचार के किये दवा मेकोजेब 2 ग्राम ओर कार्बेडाजिम 1 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से उपचारित करे
बीज की बुवाई में कतार से कतार की दूरी 2 से 3 मीटर होनी चाहिए ओर पोधे से पोधे की दूरी 90 से 100 सेंटीमीटर होनी चाहिए
फसल की बुवाई के 25 से 30 दिन के बाद ही निराई गुडाई की शुरुआत कर देनी चाहिए उसके बाद आवश्यकता अनुसार निराई गुडाई करनी चाहिए
यदि खरपतवार ज्यादा है तो कीटनाशक पेडिमेथालिन को 3.5 लीटर को 900 से 1000 लीटर पानी मे मिला कर प्रति हेक्टेयर बीज बुवाई के 2 दिन के अन्दर नम मिट्टी में छिड़काव करना चाहिए जिससे खरपतवार का जमाव नही होगा
पेठा के फलों की तुड़वाई बाजार मांग पर निरफर करती है
सामान्यतय बुवाई के 80 से 90 दिन के बाद पेठे के हरे फल तुड़वाई हेतु तैयार हो जाते हैं
ध्यान दे कि फल को तेज दार वाले चाकू के अलग करना चाहिए
पेठा की उपज सामान्य तौर पर 250 से 300 क्विटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है
पेठा की खेती से फायदे petha ki kheti ke fayde in hindi
पेठा की खेती से अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं पेठा ठंडक पहुचाने वाला ओर कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली सब्जी या फल है यह ह्दय ओर मधुमेह रोगियों के लिए विशेस कर लाभदायक है क्यो की यह रक्त में शर्करा को नियंत्रित करता है पेठा में केरोटीन के साथ साथ विटामिन ए लोहा जीक पोटेशियम ओर मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत होता है
पेठा के पौधे को सहारा देना
पेठा की फसल से गुनवक्तयुक्त उपज प्राप्त करने के लिए बास या लोहे की फ़टी द्वारा निर्मित मचान या पडाल तैयार कर पौधे की लताओं को ऊपर चढ़ा देनी चाहिए
जिससे पोधे की बढ़वार तेजी से हो ओर इनके फलों का आकार सीधा ओर रग अच्छा प्राप्त हो साथ मे फल सड़े गले गे नही
पेठा की खेती में रोग नियंत्रण
पेठा की खेती में फफूंद जनित रोग लगते हैं जिसकी रोकथाम के लिए 2 ग्राम बाविस्टिन या कैप्टान प्रति लीटर पानी मे घोल बनाकर 10 से 15 दिन के अंतराल पर छिडकाव करते रहना चाहिए
वह पेठा की फसल में कही तरह के रोग लगते हैं इनकी रोकथाम के लिए एंडोसल्फान 25 इसी 1.5 लीटर या मेलाथियान 2 लीटर को 700 से 800 लीटर पानी मे घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर 10 से 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करते रहना चाहिए