जैविक खेती के बारे में जानकारी | Jaivik Kheti in Hindi

दोस्तो आज 2021 के अंदर हम इतने ज्यादा रोगो से ग्रसित हो रहे है की हम रोटी से ज्यादा दवाइयाँ खाते है परंतु इन रोगो के होने का कारण क्या है? इस पर कोई विचार नहीं करता है परंतु अगर आप थोड़ा सा भी अपने दिमाग पर ज़ोर डालेंगे तो आपको कारण समझ में जरूर आ जाएगा।

बढ़ते रोगो का कारण यही है की आज हम खेती करते है उसके अंदर, उर्वरक (यूरिया, डीएपी), स्प्रे (कीटनाशक) आदि का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करते है। अब आप खुद सोचिए जो फसलें हम जहर से पैदा करते है वह फसल हमें पहलवान बनाएगी यां फेर हमारे शरीर को रोगो से घेरेगी।

किसान भाइयों आप को अच्छी तरह मालूम है कि खेती में अधिक मात्रा में रासायनिक का उपयोग करने से  मिट्टी कमजोर होती जा रही है। अगर ऐसा ही लगातार चलता रहा तो सभी भूमी बंजर हो जायेगी ओर इंसान भी इन रासायनों के प्रयोग से बीमार होता जा रहा है ।

रासायनिक खाद जैसे यूरिया, डी ए पी पेट्रोलियम प्रोडक्ट से बनाई जाती है ओर यह दिन प्रति दिन महंगी होती जा रही है। साथ ही साथ हर बारी फसल में 2 गुणी खाद डालनी पड़ती है इसकी मात्रा हर साल बढ़ती चली जाती है जिससे एक तो फसल में खर्च बढ़ता है ओर पानी की ज्यादा आवश्यकता पड़ती है जिससे धीरे धीरे पानी का लेवल भी कम हो जाता है

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आज इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए जैविक खेती ( Jaivik Kheti in Hindi ) ही एकमात्र समाधान है। सरकार भी अब जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है और हमें भी अब जैविक खेती की तरफ लौट जाना चाहिए। अगर आप भी एक किसान है और जैविक खेती कैसे करें इससे जुड़ी जानकारी चाहिए तो आपको आज यहाँ सारी जानकारी मिल जाएगी।

हम इस आर्टिक्ल में काफी रिसर्च करने के बाद जैविक खेती ( Jaiwik Kheti in Hindi ) से जुड़ी जानकारी लाएँ है जिसे पढ़कर आपको जैविक खेती करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। तो आर्टिक्ल शुरू से लेकर अंत तक पूरा पढ़ें और किसान भाइयों के साथ में भी शेयर जरूर करें।

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Table of Contents

जैविक खेती के बारे में जानकारी | Jaivik Kheti in Hindi

अब धीरे धीरे कुछ वर्षों से भारत में जैविक खेती लोकप्रिय होती जा रही है, जैविक खेती भारत मे बहुत ही लोकप्रिय बन चुकी हैं। हर किसान जैविक खेती करना चाहता हैं वह जैविक खेती के बारे मे हर किसान जानकारी लेना चाहता है।

परन्तु हर किसान को जैविक खेती के बारे में पूरी जानकारी नही मिल पाती जिस कारण किसान अच्छी पैदावार लेने में बचित रह जाता है कोई भी किसान कुछ महत्वपूर्ण बातों पर धियान रखकर जैविक खेती कर सकते हैं।

जैविक खेती किसे कहते? Jaivik Kheti Kya Hoti Hai

जैविक खेती किसे कहते है : जैविक खेती फसल उत्पादन की वह पदति है जिसमे हम रासायनिक खाद, रासायनिक दवाओं का उपयोग नही करते हैं।  जैविक खेती के लिए जैविक  कार्बनिक खाद, जैव उर्वरक , जैव कीटनाशी, जैव रोगनाशी ओर जो किट बीमारी है उसका नियंत्रण करने के लिए जैविक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं इसका अहम उद्देश्य मिट्टी की उर्वरक शक्ति बनाये रखने के साथ साथ फसलो को उत्पादन बढ़ाना हैं। और जैविक खेती में खर्च कम आता है।

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जैविक खाद के स्त्रोत क्या है? ऑर्गेनिक खेती के स्त्रोत

कार्बनिक जैविक खाद स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पोधो वह जानवरों के मल मूत्र  वह अवशिष्ट से तैयार किया जाता है। इसमे मुख्य रूप से गौरब की सड़ी हुही कम्पोस्ट , केचुआ की खाद, हरि खाद आदि है

हरि खाद का प्रयोग : हरि खाद का प्रयोग करने से मिट्टी में नाइट्रोजन , फास्फोरस, पोटास जैसे मुख्य तत्वों के अलावा सभी तरह के पोषक तत्वों की मात्रा उपलब्धता बड़ाई जा सकती है।

हरि खाद कैसे बनाये :

हरि खाद बनाने में मुख्यत दलहनी फसलों का उपयोग किया जाता है। इनमे लोबिया, हैजा , मूग, ग्वार ,ओर सोयाबीन परमुख है। इन फसलों से हरी खाद बनाने में मुख्यत 2 महीनों के समय लगता है ये सभी कम समय मे तेजी से बढ़ने वाली फसल है।

इन फसलों को फूल आने से पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जमीन में मिला दिया जाता है या दबा दिया जाता है। हरि खाद के सड़ने में लगभग 10 दिन का समय लगता है उसके बाद खेत को तैयार करके अगली फसल की बुवाई कर दी जाती है।

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ऑर्गेनिक खेती की जानकारी | Organic Kheti Ki Jankari in Hindi

इसके लिए आप को कुछ मेहनत करनी होगी जिसके बाद आप अपने खेत मे कम खर्चा में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।

इसके लिये आपको 1 एकड़ जमीन के लिए 15 किलो गोबर लेना होगा गाय या भेस का याद रखे कि गोबर गिला लेना है ओर 15 लीटर मूत्र लेना है गाय या भेस का।

1 कोलो खराब गुड़ लेना है जिसको कोई खाता ना हो काला पड गया हो, 1 किलो किसी भी  दाल का आटा लेना है या चोकर। गेहू के आटे को छलनी से छान लेने के बाद जो बचता है उसे चोकर या छानस कहते हैं, 1 किलो मिली लेनी होगी पीपल या बरगद के पेड़ के निचे की।

इन 5 चीज को एक ड्रम में मिला देना है ओर छाया में ड्रम को रखा दे धियान दे कि ड्रम को धुप में ना रखे। 15 दिन बाद यह खाद तैयार हो जाएगी फिर इसमे 200 लीटर पानी मिला देना है ओर खेत की मिट्टी पर इसका छिड़काव करना है।

अगर खेत मे फसल खड़ी है तो पानी के साथ बहा दो इस विधि को आप हर 21 दिन में अपनी जमीन में डालते रहो। इसका लगातार उपयोग करने से केचुआ मिट्टी में तैयार हो जाता है ओर बारिस आने पर पानी जमीन पर नही ठहरता निचे चला जाता है जिससे फसल भी खराब होने से बच जाती है।

अगर आप इस जैविक खाद का उपयोग करोगे तो  आप को मालूम चलेगा कि यूरिया से 6 गुणा ज्यादा अच्छा है, इतना अच्छा होने के कारण उत्पादन भी ज्यादा मिलेगा और साथ में खर्च भी कम आएगा।

जैविक खेती से जुड़ी जानकारी विडियो में देखें | Jaivik Kheti in Hindi

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मिट्टी में सुधार कैसे करे जाने –

मिट्टी में सुधार के लिए मिट्टी की जाँच करवाना आवश्यक होता हैं  अगर मिट्टी का आप फार्मूला गलत लिया तो परिणाम भी गलत मीलेगे। मिट्टी की जांच कैसे करवानी है इसके बारे में विस्तार से जानकारी लेने के लिए यहाँ मिट्टी की जांच कब कैसे ओर क्यो करे, मिट्टी का नमूना लेने का सही तरीका जानिए क्लिक कर

खेत में पराली या अन्य अवशेष जलाने से कैसे बचे

देश मे बड़े पैमाने पर धान की खेती होती है वे इसकी कटाई के बाद खेत में बचा अवशेष जलाने से पर्यावरण प्रदूषण में साथ साथ खेतों में उपजाऊ क्षमता को भी कम कर देते है। इस कारण पराली को जलाने के बजाए इसकी खाद भी बना सकते हैं।

इसके लिए लखनऊ के कर्षि वेक्षानिको  ने एक वैक्टीरिया की खोज कर ली है जो वेस्ट डी कम्पोजर  के रूप में काम करती है जिसका नाम हेलो सी र डी रखा है इसके छिड़काव से किसान  बचे अवशेष जैसी समस्या से निजाद पा सकते हैं

इसके छिड़काव से DAP यूरिया की जरूरत 50%  कम हो जाती है ओर किट नाशक 80 प्रतिशत कम हो जाता है, इसके छिड़काव के 20 से 25 दिन बाद इसकी खाद बना देता है जो खेतो में बहुत फायदा करता है

हेलो सी र डी बनाने की विधि –

आपको 200 लीटर प्लास्टिक में ड्रम में पानी लेना होगा इसमे गुड़ छाछ ओर हेलो सी र डी मिला देगे। ड्रम को डक कर रख देगे रोजाना ड्रम के पानी को घड़ी की सुई की दिशा में गुमायेगे।

10 दिन में यह तैयार हो जाएगा फिर छिड़काव करें छिड़काव करते समय दियान रखे कि खेत में नमी रहनी चाहिए अगर नमी नही है तो पहले सिचाईं कर लेनी चाहिए।

धान या गेहू काटने के बाद एक एकड़ खेत के लिए 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए 7 से 8 दिन में आधी पराली  गल जायेगी उसके बाद फिर 1000 लीटर का छिड़काव करके जुताई कर लेनी चाहिए। मिटी में मिलने में बाद 90 प्रतिशत तक 20 से 25 दिन में खाद बन जायेगी

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जैविक खेती में रोग नियंत्रण कैसे करें?

जैविक खेती में किट ओर रोगों का नियंत्रण भी जैविक विधि द्वारा करना चाहिए। अलग अलग सब्जिया में , फलो में, अन्य फसलों में अलग अलग किट का परकोप पाया जाता हैं।

ये किट पतियो , तना,  कलियों वह फलो का रस चूसते है या खाते हैं जिससे फसलो में नुकसान होता है ओर बाजार में उचित मूल्य नही मिलपाता फसल कमजोर हो जाती है।

इससे बचने के लिए नीम की निमोली का 1 ग्राम  पाउडर प्रति लीटर पानी मे घोल बनकर छिड़काव करें, आज कल तो नीम का तेल , नीम गोल्ड , निम से तैयार जैविक कीटनाशी बाजार में आसानी से मिल जाता है। इसके अलावा घर पर कुछ कीटनाशक दवा बना सकते हैं।

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लहसून आधारित किटनाशक –

लहसुन , अदरख, हिग को पानी मे गोल कर छिड़काव कर सकते हैं। इससे किट मरते नही है बल्कि इसकी गन्द से किट फसल में नही आते।

रस चूसक सभी कीटो या इलियो से नियंत्रित –

200 लीटर पानी, 2 किलो गाय का गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, 2 – 2 किलो करंज के पते, सुता फल, धतूरा, तुलसी , पपीता, गेंदा, नीम, कनेर के पते, 500 ग्राम तमाखू, आदा किलो लहसुन, आदा किलो हल्दी, आदा किलो हरि मिर्च,200 ग्राम अदरख इसका एक घोल तैयार किया जाता है।

इसके लिए एक प्लास्टिक का ड्रम लेकर उसमें सभी सामग्री मिलाकर  जाली दार कपड़े से ढक दे ओर 40 दिन छाया में रख दे इसके बाद इनका स्प्रे करे।

फंगस से होने वाले रोग नियंत्रण –

इसके लिए खट्टी छाछ में तांबे के टुकड़े को 3 से 4 दिन तक दाल कर रखे 2 दिन बाद छाछ की आदा लीटर मात्रा को 15 लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करें।

गर्मी में गहरी जुताई करनी चाहिए –

गर्मी में गहरी जुताई से ऐसे जुवाणु या अण्डे जो फसल को नुकसान पहुंचाने का कार्य करता है वह ऊपरी सतह पर आ जाता है जैसे ही इसे धूप की करने लगती है तो ये मर जाते हैं कम से कम 20 से 30 सेंटीमीटर गहरी जुताई करनी चाहिए।

जैविक खेती के फायदे / जैविक खेती के लाभ / Jaivik Kheti Ke Fayde

  1. जैविक खेती से भूमि की उपजाऊ क्षमता में व्रद्धि होती है
  2. इसमे सिचाईं हेतु जल का उपयोग कम करना पड़ता है
  3. किसानों की रासायनिक खाद पर निर्बर्ता कम होती है
  4. फसल उत्पादन में व्रद्धि होती है बाजार में मूल्य अधिक मिलता है
  5. जैविक खेती से पर्यावरण स्वस्थ रहेगा
  6. कचरे का उपयोग खाद बनाने में किया जा सकता है
  7. उर्वरक क्षमता  में सुधार आता है
  8. जल वास्पी कर्ण कम होता है जिससे कि सिचाईं में कम पानी का उपयोग होता है
  9. जैविक खेती लगातार करने से उत्पादन क्षमता  अधिक होती है और लागत कम आती हैं
  10. जैविक खेती से जमीन की उपजाऊ क्षमता बनी रहती है ओर रोग भी कम लगते हैं

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जैविक खेती का रजिस्ट्रेशन कैसे करें? जैविक खेती ka registration कैसे करें

जैविक खेती में केमिकल खेती के बजाए ज्यादा दियांन देने की आवश्यकता होती है सबसे पहले किस सीजन में खेती कर रहा है उस सीजन के नाम , फसल का नाम, खेत का खसरा नम्बर, बोई गई फसल का रकबा, देना जरूरी होता है।

  1. जेविक खेती कर कर रहे किसान जो कि प्रमाणीकरण सस्था में रजिस्टर्ड है
  2. उन्हें फसल की कटाई प्रमाणीकरण सस्था के मापदंड के अनुसार करनी चाहिए
  3. फसल कटाई के समय फसल प्रमाणीकरण सस्था का कोई प्रतिनिधि होना अनिवार्य है
  4. अगर आप कटाई बुवाई खेती के सभी काम जैविक खेती के अनुसार किया है तो ही प्रमाणीकरण सस्था के अधिकारी निरीक्षण के आधार पर रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट जारी करने के लिए अनुससित्त करेंगे
  5. जैविक प्रमाणीकरण सस्था  पूरी जाँच पड़ताल करके संतुष्ट होने के बाद अपनी तरफ से किसान को जैविक उत्पाद पंजीकरण परमान पत्र प्रदान  देती है

निष्कर्ष –

आज के इस आर्टिक्ल में हमने किसान भाइयों के साथ में जैविक खेती ( Jaivik Kheti in Hindi ) से जुड़ी सारी जानकारी शेयर की है। इस आर्टिक्ल में आपको जैविक खेती कैसे करें? जैविक खेती के लिए जमीन और खाद किस प्रकार की जाती है साथ ही जैविक खेती को हम रोगों से कैसे बचाएं यह जानकारी भी आपको बताई है।
मुझे पूरी उम्मीद है किसान भाइयों को यह आर्टिक्ल पढ़ने के बाद जैविक खेती से जुड़ी सारी जानकारी मिल जाएगी।
अगर आपको जैविक खेती से जुड़ी अन्य कोई जानकारी चाहिए तो आप हमसे कमेंट में पूछ सकते है। हम आपकी समस्या का समाधान जरूर करेंगे।
 
मैं खुद किसान परिवार से हूँ और मैंने देखा की इंटरनेट पर किसानो की सहायता करने वाली कोई भी हिन्दी वैबसाइट नहीं है इसलिए मैं किसानों की सहायता के लिए इस वैबसाइट पर बहुत रिसर्च करके जानकारी लाता हूँ तो आपका भी एक फर्ज बनता है की आप अपने Social Media जैसे Facebook, WhatsApp पर शेयर करें।
 
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