मिट्टी की जांच कब कैसे ओर क्यो करे, मिट्टी का नमूना लेने का सही तरीका जानिए

हमारा भारत एक कर्षि प्रधान देश है, जिसकी लगभग 70 प्रतिशत जनसख्या खेती पर निर्भर है। विश्व मे  देश की 2 परमुख खादान फसल गेंहू ओर धान है। देश मे कर्षि योग्य भूमि लगातार कम होती जा रही है इसके साथ साथ उर्वरक शक्ति भी कम हो रही है, देश मे किसानों की कम लागत पर अधिक उत्पादन करना क्रषि वेक्षानिको का लक्ष्य है।

नई बिजाई से पहले खेत की मिट्टी की जांच करना बहुत जरूरी हो गया है। पुराने समय मे तो लोग मिट्टी की जांच करने के बारे में सोचते भी नही थे, बुजुर्ग  तो ऐसे ही  मिट्टी में कोई भी कमी हो मालूम कर लेते थे। लेकिन अब तो मिट्टी की जांच से पहले कुछ भी तय नही किया जा सकता कि इस मिट्टी में कोनसी फसल अच्छा उत्पादन देगी।

मिट्टी की जांच से पहले तो कोनसी खाद कितनी मात्रा में डालनी है यह भी तय नही किया जा सकता, यह भी मिट्टी की जांच के मुताबिक ही किया जाता है। जिस प्रकार मनुष्य को जीवित रहने के लिए अलग अलग प्रकार के पोषक तत्व की आवश्यकता होती है। मनुष्य में पोषक तत्व की पूर्ति करने के किये लेब में चिकित्सक में जांच करवाते हैं  उसी प्रकार मिट्टी की जांच करवाना जरूरी है जिनसे इसके पोषक तत्वों का पता लगाया जा सकता है।

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पोधे को जीवित रहने के लिए 18 प्रकार के तत्व की आवश्यकता पड़ती है अगर 18 प्रकार के पोषक तत्व  नही मिले तो पौधा भी मुर्जा जाता है। जिसमे से 15 प्रकार के पोषक तत्व मिट्टी से मिलते हैं ओर 3 बाहर से लेता है  हवा, पानी, खाद। ये 15 प्रकार के पोषक तत्व मिट्टी में मौजूद रहते है लगातार फसल लेने से इसमे कमी आ जाती है, पोधे के विकास और अधिक फसल उत्पादन के लिए 18 तत्व सही सतुलन  में होने जरूरी है।

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भौतिक वह रासायनिक सरचना में भिन्नता के फलस्वरूप ये तत्व अक्सर अंसतुलित मात्रा में मिट्टी में पाया जाता है इसके अलावा एक ही जगह  एक ही प्रकार की फसल बार बार लगाने से धीरे धीरे मिट्टी में तत्वों की कमी हो जाती है।  जिससे उपज पर गहरा प्रभाव पड़ता है इसी कमी को पूरा करने के लिये खाद वह उर्वरक सही मात्रा में डालनी बहुत जरूरी है।

कुछ बार ऐसा भी हो सकता है कि किसी पोषक तत्व की मात्रा अधिक हो ओर उसी तत्व को किसान खाद के रूप में बार बार दे रहा हो जिससे मिट्टी का सतुलन बिगड़ जाएगा और वह मिट्टी खराब हो जाती है। साथ ही मंहगी मंहगी  खाद भी नष्ट हो जाती है, साथ मे पर्यावरण और भी इसका प्रभाव पड़ता हैं क्यो की उस भूमि में जो भी पेड़ पौधे होंगे सभी खराब हो जायेगे। इसलिए किसी भी खाद या उर्वरक का प्रयोग मिट्टी की जांच के अनुसार ही करना चाहिए।

मिट्टी परीक्षण क्या है और मिट्टी परीक्षण कैसे करें? Mitti Parikshan Kaise Karen?

खेत के भौतिक रासायनिक तथा जैविक गुणों निरीक्षण कारना तथा मिट्टी का वैक्षानिक डंग से मूल्यांकन करना। मिट्टी परीक्षण से हम मिट्टी में विभिन पोषक तत्वों की मात्रा ओर उनकी उपलब्धता का सही तरह से मूल्यांकन कर सकते हैं।

फसल में जिस पोषक तत्त्व की कमी है उसकी खाद आवश्यकता अनुसार दाल सकते हैं जो जो मिट्टी में पोषक तत्व पूरी मात्रा में है उसकी खाद डालने की आवश्यकता नही होती, मिट्टी की जांच करके अम्लीयता ओर क्षारीयता (PH) का पता लगा सकते हैं।

चुना ओर जिप्सम का सही मात्रा में निधार्रण किया जा सकता है, मिटटी परीक्षण के बाद हमारी खेत की मिट्टी में सुधार लियाया जा सकता है। इसकी उपज ओर गुणवत्ता बढाई जा सकती है जिससे अच्छी फसल होगी और अच्छा मुनाफा मीलेगा ओर साथ मे फसल पर ख़र्च कम आएगा।

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मिट्टी का नमूना कैसे लें? Mitti Ka Mamuna Kaise Le

मिट्टी का नमूना  आप जिस खेत से लेना चाहते हो उसके 6-7 जगह निशान लगाले ।  मिट्टी के ऊपर से घास फूस अच्छी तरह से हटा लें, उसके बाद खुरपी से 6 इच का (V) आकर का गडा खोद ले।

उसके बाद (V) आकर का गडा 6 इच का खोदकर समतल दीवार से 1 इच मोटी मिट्टी की परत लम्बाई में निकले , जिस जिस स्थान पर निशान लगाए है उन सभी स्थानों से मिट्टी ले। मिट्टी को एक साफ कपड़े पर ले सभी स्थानों से ली गई मिट्टी को अच्छी तरह मिलाये फिर एक ढेर बना ले।

मिट्टी को बराबर चार भाग में बाट ले ओर आमने सामने के 2 भाग चूने 2 भाग को छोड़ दे या नष्ट कर दे, उसके बाद उन 2 भाग को अच्छी तरह मिलाये ओर एक  ढेर बनाये। मिट्टी को बराबर चार भाग में बाट ले ओर आमने सामने के 2 भाग चूने 2 भाग को छोड़ दे।

इसी तरह जब तक करते रहे तब तक आधा किलो मिट्टी का नमूना ना रह जाये, नमूने को सूती थैले में डाले तथा उस पर लेबल लगा ले। जिस पर किसान का नाम, किसान के पिता का नाम,  खेत का नाम, खेत का किला नंबर , पथर नम्बर,  गाँव , ब्लॉक , जिला, खेत मे उगाई जाने वाली फसल, खेत की सिचित / असिंचित, फ़ोन नम्बर, आदि विवरण होना चाहिए।

जिस किसान भाई के पास मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड है वह मिट्टी जांच के साथ भेजे। अगर आप को लम्बी फसल / फलदार पोधो से मिट्टी का नमूना लेना हो तो 10 से 15 पोधो को चिह्नित करे।  बग़ीचे के बीच पोधे से 2- 3 फुट की दूरी पर खुरपी द्वारा 0 से 15 से.मी. गहरा  ओर 15 से 30 से.मी. गहरा 2 अलग अलग मिट्टी के नमूने ले, इसी प्रकार  चारो दिशाओ से नमूने ले।

फिर 0 से 15 से.मी.  वाली मिट्टी को अच्छी तरह मिलाकर पहले बताई विधि द्वारा नमूना तैयार करे फिर 15 से 30 से.मी. वाली मिट्टी को अच्छी तरह मिलाकर पहले बताई विधी द्वारा नमूना तैयार करे।  दोनों विधि में  आदा – आदा किलो मिट्टी ना रहे तब तक वही प्रकिर्या करनी है।

मिट्टी जांच करने से जुड़ी विडियो देखें 

मिट्टी परीक्षण कब करें? Mitti Parikshan Kab Kiya Jata Hai

मिट्टी का परीक्षण लेने के लिए आप को यह बात धियान मे रखनी होगी कि खेत से फसल को काटने के बाद खाली खेत से ही मिट्टी का परीक्षण करवाना होगा  बिजाई से 1 माह पहले परीक्षण करवा लें ताकि फसल बिजाई से पहले मिट्टी की जांच आ जाये, जिससे उसकी कमी या व्रद्धि का को सही किया जा सके।

अगर आपको खड़ी फसल से मिट्टी का परीक्षण करवाना पड़े तो मिट्टी कतारों से ले तथा इस प्रकार ले कि पूरे खेत का परीक्षण हो जाये। अलग अलग कतारों से मिट्टी लेकर मिला ले फिर परीक्षण करवाये। कम से कम 3 साल में 1 बार मिट्टी का परीक्षण अवश्य करवाले।

मिट्टी परीक्षण करते समय सावधानी । Mitti Parikshan Karte Samay Savdhaniya

  1. मिट्टी का नमुना ऐसे स्थान से ना ले जहां भूमि में  झाड़ियों जलाई गई हो या खाद का ढेर हो , सिचाईं की नालि हो, मेठ हो, या सडी गली खाद डाली गयी हो।
  2. गीली मिट्टी का नमूना ना ले यदि लेना पड़े तो छाया में सुखा लें, नमूना सुखी साफ पॉलिथीन में डाले।
  3. परीक्षण हेतु नमूना लेते समय  हाथ साफ हो और लोह के बर्तन की बजाए प्लास्टिक के बर्तन में नमूना ले।

मिट्टी की जांच के फायदे । Mitti ki Jancha Ke Fayde

  1. खेत मे लगातार रासायनिक ओर कीटनाशको के प्रयोग के कारण खेत की मिट्टी में उर्वरक समता कम हो जाती है। कई  वर्षो के बाद भी मिट्टी की उर्वरक समता का अंदाजा लगाना मुस्कील हो जाता है जिससे फसलो की पैदावार पर प्रभाव पड़ता है। मिट्टी की जांच करवाकर किसान मिट्टी में मोजूद पोषक तत्व का पता लगा सकता है
  2. मिट्टी में कई पोषक तत्व होते हैं जो पोधो के लिए अत्यंत आवश्यक है। मुख्य पोषक तत्व जैसे कार्बन , ऑक्सीजन , हाइड्रोजन, फास्फोरस, नाइट्रोजन,  मैग्नीशियम, पोटास, केल्शियम तथा सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे ताँबा , लोहा, मेगनीज , जस्ता, बोरोन आदि की असुलित मात्रा से अच्छी पैदावार होती है।
  3. मिट्टी में इसकी कमी के कारण इसकी उर्वरक समता कम होने लगती है ओर मिट्टी की जांच से आप लवणों की मात्रा का भी पता लगा सकते हैं इसके साथ ही मिट्टी का PH स्तर भी मालूम पड़ता है।
  4. मिट्टी में जिस पोषक तत्वों की कमी है उसे पूरा करके मिट्टी की उपजाऊ समता भी बड़ा सकते हैं और अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं

मिट्टी की जांच कहा होती है। Mitti ki Janch Kaha Hoti Hai?

मिट्टी के नमूने को क्रषि एव किसान कल्याण विभाग की नजदीकी मर्दा परीक्षण प्रयोगशाला में जाँच के लिए भेजे इसके अलावा चोधरी चरण सिंह क्रषि विश्वविद्यालय के क्रषि विज्ञान केन्द्रों में भी यह सुविधा उपलब्ध है

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आप मृदा परीक्षण केंद्र कैसे खोले? Mrida Parikshan Prayogshala Kaise Kholen

अगर आप एक किसान है तो आपको यह अच्छी तरह मालूम होगा कि मिट्टी जाँच लेब कितनी आवश्यक है।  मिट्टी परिक्षण प्रयोगशाला आप अपने ग्रामीण क्षेत्र में खोलकर किसान भाइयों की सहायता कर सकते हो।  बहुत से किसान मिट्टी जाँच करवाना तो चाहते हैं  लेकिन उनके आस पास कोई जांच केंद्र नही होता।  इसको कोई भी खोल सकता है जिसके पास क्रषि क्षेत्र  में स्नातक या कोई डिप्लोमा किया हो ओर आपकी उम्र 18 से 42 साल हो।

आप कहि पर भी खोल सकते है जहाँ किसी भी ग्रामीण क्षेत्र में  क्रषि कार्य किया जाता है।  प्रयोगशाला खोलने के लिए  प्रयोगशाला में  जाँच करने के लिए मशीन , कम्प्यूटर, फनीचर, कैमिकल, सभी प्रकार की  आवश्यक सामग्री में 5 लाख का खर्चा आएगा जिसमे से 75% सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है यानी कि 3 लाख 75 हजार।

इसमे से 60% केन्द्र सरकार द्वारा मिलती है और 40% राज्य सरकार द्वारा मिलती है खुद को 1 लाख 25 हजार खर्च करना होता है। इस योजना का नाम सॉइल हेल्थ कार्ड स्किम है इसके अंतर्गत आप ग्रामीण क्षेत्र में लेब शुरू कर सकते हैं।

यहां खेतो की मिट्टी इकठी करके उसकी जाँच की जाती है ओर जिस पोषक तत्व की कमी होती है उसमें सुधार की जाती है।  मिट्टी लेने और उसमें सुधार करने ओर मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड  उपलब्ध कराने में सरकार 300 रुपये देती है इसके अलावा जो किसान मिट्टी जांच करवाएगा उनसे भी कुछ मूल्य लेगें जिससे आपको प्रोफिट होगा।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या है? Marda Swasthya Card Yojana Kya Hai?

मिट्टी  स्वास्थ्य कार्ड योजना  19 फरवरी 2015 में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई योजना है। साइल हेल्थ कार्ड  स्किम जारी करके किसान को मिट्टी की गुणवत्ता का अध्यन करने एक अच्छी फसल प्राप्त करने में सहायता मिल सके। अगर मिट्टी की क्वॉलिटी अच्छी नही होगी तो फसल भी अच्छी नही होगी, मृदा स्वास्थ्य कार्ड में किसानों के खेत की मिट्टी का आकलन करता है। जिसमे 12 माप दंड है और प्रमुख पोषक तत्व जिसमे मुख्य है :-

● PH क्षारीयता , अम्लीयता

● कुल लवण

●  कार्बनिक कार्बन

●  फास्फोरस

● पोटास

छोटे पोषक तत्व

● सल्फर

● मैग्नीशियम

● कैल्शियम

सूक्ष्म पोषक तत्व

● जिक

● लोहा

● मेगनीज

● कॉपर

यह कार्ड किसानो को 3 साल में एक बार जारी किया जाएगा। इसमे किसान के खेत की मिट्टी की जानकारी के साथ  साथ यह भी बताया जाता है  की खेत मे किस उर्वरक का उपयोग कितना करना चाहिए।  मृदा स्वास्थ्य कार्ड में मिट्टी की उर्वरकता के बारे में जानकारी दी जाती है फसलो में उर्वरक की खुराक की मात्रा के बारे में बताया जाता है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड के फायदे । Marda Swasthya Card Ke Fayde

  1. मृदा स्वास्थ्य कार्ड यह सुनिश्चित करेगा कि किसान अपने खेत मे जरूरत से ज्यादा उर्वरक नही डालेगा।
  2. इस कार्ड के माध्यम से किसानों को अपनी फसल चुनने में आसानी होगी
  3. मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से किसान अपने खेत मे मिट्टी के हिसाब से फसल की बुवाई करेगा
  4. किसानों की मिट्टी की जाँच नियमित आधार पर की जाएगी
  5. जिससे उनके खेत मे हो रहे बदलाव के बारे में जानकारी मिलेंगी
  6. किसानों को विशेषक्षो  से सीधी राय मिलेगी

निष्कर्ष –

दोस्तो मुझे उम्मीद है की आपको इस आर्टिक्ल को पढ़ने के बाद मिट्टी जांच से जुड़ी जानकारी मिल गयी होगी। अगर आपको मिट्टी जांच करने में कोई दिक्कत आती है तो आप हमसे कमेंट में पूछ सकते है।
मैं खुद किसान परिवार से हूँ और मैंने देखा की इंटरनेट पर किसानो की सहायता करने वाली कोई भी हिन्दी वैबसाइट नहीं है इसलिए मैं किसानों की सहायता के लिए इस वैबसाइट पर बहुत रिसर्च करके जानकारी लाता हूँ तो आपका भी एक फर्ज बनता है की आप अपने Social Media जैसे Facebook, WhatsApp पर शेयर करें।
kulwant singh bhati
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4 Comments

  1. आपने इस आर्टिकल के अंदर बहुत ही शानदार जानकारी हमारे साथ में शेयर की है।

  2. आपके सबसे ज्यादा नजदीक मिट्टी जांच केंद्र मथुरा में है। आप इन नंबर 0565-2471237 (Off.), +91-8077516194 (M) पर फोन करके मिट्टी जांच से जुड़ी सारी जानकारी ले सकते है।

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