पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है

पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है

पृथ्वी पर अमर (immortal) कोई भी व्यक्ति नहीं है। जन्म और मृत्यु यह संसार का स्वाभाविक चक्र है, और सभी प्राणी इसमें शामिल हैं। किसी भी व्यक्ति को अमरता का अधिकार नहीं है।

विभिन्न धार्मिक और मिथक साहित्यों में कई किस्से हैं जिनमें देवताओं और ऋषियों को अमर होने का वर्णन किया गया है, लेकिन ये कथाएं आध्यात्मिक अर्थों में होती हैं और वास्तविकता में इनका सिद्धांतिक अधार नहीं होता। विशेष रूप से, भगवान या देवीयों को अमर होने का अधिकार माना जाता है, लेकिन यह सामान्य व्यक्तियों के लिए नहीं है।

धर्म, दार्शनिक दृष्टिकोण और सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय के अनुसार, मृत्यु और जन्म सांसारिक वास्तविकता का हिस्सा हैं और इसे अच्छी प्रकार से सामान्य व्यक्तियों के लिए स्वीकार किया जाता है।

पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है

पौराणिक कथाओं मे 7 अमर व्यक्तियों का वर्णन मिलता है जो हैं, परशुराम जी, हनुमान जी, विभीषण, राजा बलि, वेदव्यास जी, कृपाचार्य और अश्वत्थामा. इनमे से कुछ वरदान प्राप्त करके, कुछ तप के बल से और कुछ श्राप के कारण अमर हुए हैं

 परशुराम जी

परशुराम भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं, जैसा कि हिन्दू धर्म के शास्त्रों में वर्णित है। परशुराम ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे। उन्हें “भ्रान्तिदाता” और “क्षत्रियकुलतिलक” के नामों से भी जाना जाता है।

परशुराम की कहानी भगवत पुराण, महाभारत और विष्णु पुराण में विस्तार से मिलती है। उनका एक प्रमुख कारण था धरती पर क्षत्रियों के अत्याचार को समाप्त करना और उन्हें शासन की दिशा में पुनः दिशित करना। परशुराम ने अपने तेजस्वी पराक्रम से कई युद्धों में भाग लिया और कई राजाओं को युद्ध में हराया।

एक प्रसिद्ध किस्सा उनका है जिसमें उन्होंने अपने माता के प्रति कृतज्ञता के लिए शिवधनुष (शिव का धनुष) का परीक्षण पास किया और शिव ने उन्हें अशीर्वाद दिया।

परशुराम का चरित्र महाकाव्य “परशुरामावतार” और महाभारत के आदि पर्व में विस्तार से वर्णित किया गया है। उन्हें वीर और धर्माचार्य के रूप में सम्मानित किया जाता है।

हनुमान जी

हनुमान जी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं और उन्हें भगवान श्रीराम के भक्त और दीनबंधु (दीननाथ के बंधु) के रूप में पूजा जाता है। हनुमान जी को भक्ति, शक्ति, वीरता, और सेवा का प्रतीक माना जाता है।

हनुमान जी का वर्णन महाभारत, रामायण, भगवत पुराण, और अन्य हिन्दू शास्त्रों में किया गया है। उनका मूल नाम “मारुति” है, और वे वानर सेना के प्रमुख थे।

हनुमान जी की कई कथाएं और लीलाएं हैं, जो उनके भक्तों को प्रेरित करती हैं। कहा जाता है कि हनुमान जी बचपन में सूर्य को फल चुराते थे, जिसके बाद उन्हें वायुपुत्र (वायु देवता का पुत्र) कहा गया।

हनुमान जी ने भगवान श्रीराम की सेवा में अपने पूरे जीवन को समर्पित किया और रामायण में उनकी वीरता, भक्ति, और समर्पण की कहानी सुनी जाती है। उन्होंने श्रीराम के लिए सीता माता की खोज में लंका तक पहुँचकर उन्हें बचाया और लंकेश्वर रावण को परास्त किया।

हनुमान जी की पूजा और उनका भजन हिन्दू धर्म में बहुत चर्चित हैं, और उन्हें भक्तों के बच्चों और सच्चे भक्तों का सन्दर्भ दिया जाता है।

विभीषण

विभीषण, हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण चरित्रों में से एक है जो रामायण काव्य में प्रमुख रूप से उजागर होता है। विभीषण रावण के छोटे भाई थे और लंका के राजा थे।

रामायण में, विभीषण का प्रमुख किरदार उनकी भक्ति और न्यायबद्धता के कारण उचित प्रशंसा प्राप्त करता है। जब रावण भगवान राम की पत्नी सीता माता को हरण कर लेता है, तब विभीषण उसके इस अनैतिक कार्य के खिलाफ खड़ा होता है और उसे सलाह देता है कि सीता माता को वापस देना उचित है।

रावण ने विभीषण की सुनी नहीं और उन्हें राजा पद से हटा दिया। विभीषण फिर रावण के विरुद्ध राम की सेना में शामिल हो गए। उन्होंने राम से शरणागति प्रदान की और उनकी सेना में योगदान किया।

विभीषण की नीति, न्यायबद्धता और भक्ति की प्रशंसा रामायण में विशेष रूप से की जाती है। रामायण में विभीषण की प्रतिभागी कथा से हमें न्याय, धर्म, और भक्ति के महत्वपूर्ण सिख मिलती हैं।

राजा बलि

राजा बलि हिन्दू पौराणिक कथाओं में एक प्रमुख राजा के रूप में प्रसिद्ध है। उन्हें महाभारत, विष्णु पुराण, रामायण, भागवत पुराण, और अन्य पुराणों में विभिन्न कथाएं मिलती हैं।

राजा बलि का विशेष महत्व रामायण में है, जहां वे वानरराज हनुमान के द्वारा मारे जाते हैं। बलि वानरराज वाली का भाई और वानर सेना के प्रमुख थे।

रामायण के अनुसार, हनुमान लंका को देखने के लिए अयोध्या से लंका गए थे और वहां पहुँचकर वानरराज बलि के साथ महाकाव्य में एक महत्वपूर्ण युद्ध हुआ। हनुमान ने बलि को चुनौती दी, और उनके सामर्थ्य को परीक्षित किया। हनुमान ने बलि को प्राणायाम की उपाय से पराजित किया और उन्हें मार दिया।

रामायण में बताया जाता है कि बलि के वध के बाद, हनुमान ने उनकी पत्नी तारा से बलि का अनुग्रह लेते हुए उन्हें जीवित कर दिया। बलि ने भक्ति और न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध हैं, और उन्हें कई हिन्दू श्रद्धालुओं द्वारा पूजा जाता है।

वेदव्यास जी

वेदव्यास जी हिन्दू धर्म के प्रमुख ऋषियों में से एक हैं और उन्हें महाभारत के रचयिता और वेदों के संग्रहकर्ता के रूप में जाना जाता है। वेदव्यास का अर्थ होता है “वेदों का संग्रहकर्ता” या “वेदों का विभाजक”।

वेदव्यास का जन्म महाभारत काल में हुआ था, और वह ब्रह्मा के आसन से उत्पन्न हुए थे। उनके पिता का नाम पराशर ऋषि था और माता का नाम सत्यवती था।

वेदव्यास ने वेदों के चार वेदांत (सामवेद, यजुर्वेद, ऋग्वेद, अथर्ववेद) को संरक्षित किया और महाभारत को रचना की। महाभारत में भगवद गीता भी शामिल है, जो भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ एक महत्वपूर्ण संवाद है।

वेदव्यास का यह कार्य वेदों और इतिहासिक ग्रंथ महाभारत की रचना ने हिन्दू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। उन्हें वेद-व्यास, व्यासायन, कृष्ण द्वैपायन और वेदकृत भी कहा जाता है।

वेदव्यास का जीवन काल के बावजूद, उनका योगदान हिन्दू धर्म के समृद्धि और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण रहा है।

ek din me 5000 kaise kamaye, 1 दिन में 5000 कैसे कमाए

कृपाचार्य

कृपाचार्य भारतीय पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण चरित्र है जो महाभारत के कुछ अधिकांशों में उल्लेखित है।

कृपाचार्य का वास्तविक नाम शारद्वान था और वे शारद्वत ऋषि के पुत्र थे। कृपाचार्य को भी कृपा आचार्य कहा जाता है, और इसका अर्थ है “कृपा करने वाला आचार्य”।

कृपाचार्य का सम्बंध महाभारत के युद्ध काण्ड से है, जहां वे कौरव पक्ष के पंडित और सेनापति थे। कृपाचार्य धृतराष्ट्र के प्रमुख राजगुरु भी थे और उन्होंने युद्ध भूमि पर धर्म और नीति के विषय में अपने विचार प्रकट किए।

एक महत्वपूर्ण घटना महाभारत में है जब कृपाचार्य ने अश्वत्थामा की बुद्धिमत्ता और योग्यता को देखकर उसे अपने छात्र बनाया और उसे धनुर्विद्या (धनुर्विद्या) का शिक्षक बनाया।

कृपाचार्य का विशेष महत्व विराट युद्ध में हुआ था, जहां उन्होंने युद्ध क्षेत्र में भगवान कृष्ण के साथ मिलकर योद्धाओं को उनके अद्भुत समर्थन के लिए संबोधित किया था। कृपाचार्य का एक अन्य महत्वपूर्ण क्षण महाभारत युद्ध में द्रौपदी की शरणागति के समय था, जब उन्होंने उसे शरण लेने का समर्थन किया।

अश्वत्थामा

अश्वत्थामा महाभारत के प्रमुख कर्णपर्व के अंत में उल्लेखित एक महत्वपूर्ण चरित्र है। उनका पूरा नाम अश्वत्थामा है और वे महारथी योद्धा, धनुर्विद, और द्रोणाचार्य के पुत्र हैं।

महाभारत में, अश्वत्थामा को महान योद्धा के रूप में प्रस्तुत किया गया है और उन्हें अनुपम धनुर्विद्या और योद्धा के रूप में जाना जाता है।

अश्वत्थामा का संबंध द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह, और कृपाचार्य से है। उन्होंने महाभारत के युद्ध काण्ड में कौरव पक्ष के प्रमुख सेनापति के रूप में भाग लिया और उनकी बड़ी भूमिका में एकमात्र सेनानायक के रूप में रहते हुए विशेष प्रशिक्षण की दी गई थी।

अश्वत्थामा की महत्वपूर्ण कहानियों में से एक में उनका बड़ा पाप भी है, जो वर्तमान में उन्हें प्राप्त हुआ था। उन्होंने महाभारत युद्ध के अंत में रात्रि के समय पाँच पाँडव सेनानायकों की शिरोमणि को मार डाला, जो विराट युद्ध में लड़ रहे थे। इस क्रूर और अधर्मिक कृत्य के कारण अश्वत्थामा को एक अज्ञात विद्याधर बना दिया गया था, और उन्हें अच्छूत (अशुद्ध) स्थानों से दूर रहने की शिक्षा दी गई थी।

अश्वत्थामा का चरित्र महाभारत महाकाव्य के प्रमुख चरित्रों में से एक है जिसका योगदान कथा में बहुत महत्वपूर्ण है।

कलयुग में अजर अमर कौन है?

महावीर हनुमान को भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार कहा जाता है. सनातन धर्म में महावीर हनुमान जी को चिरंजीवी अर्थात अजर अमर कहा गया है.

हनुमान जी कहाँ रहते है

पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है पृथ्वी पर अमर कौन-कौन है

kulwant singh bhati
kulwant singh bhati

welcome to my blog

Articles: 216

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *