कपास की खेती कैसे करें, Kapas Ki Kheti Kaise Kare

कपास एक नगदी फसल है इससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है इसके मुनाफे को देखकर हुए प्रदेश के बहुत से किसानों ने कपास की खेती की है ओर मोसम भी बदल रहा है जिससे फसलो पर किट ओर रोग का प्रकोप होता है इनका समय पर नियंत्रण करना जरूरी है इसी बात हो धियान में रखते हुए हम आपको कपास की खेती कैसे की जाती है  कपास की कोन कोन कि किस्मे है वह रोग नियंत्रण के साथ साथ इसकी पैदावार के बारे में विस्तार से बताएगे

Table of Contents

नरमे की बिजाई से पहले ध्यान देने वाली जरूरी बातें

kapas ki kheti ki jankari

1.कपास की खेती के लिए जलवायु

कपास की खेती के लिए कम से कम 16 डिग्री तापमान और अधिकतम 32 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है

2. कपास की बुवाई का समय

कपास की बुवाई अप्रेल के लास्ट में ओर मई-जून में कर सकते हो 

अगर आपके पास पानी की उचित व्यवस्था नही है तो आप बारिश के मौसम जून -जुलाई में कपास की खेती कर सकते हो

3.कपास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

आप किसी भी प्रकार की मिट्टी में कपास की खेती कर सकते है जैसे बालुई दोमत मिटी, दोमत मिट्टी लेकिन कपास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी काली दोमट मानी गई है जिसमे अच्छी पैदावार होती है और पानी की ज्यादा जरूरत नही होती अलग मिट्टी के बजाए

4. कपास की खेती के लिए खेत की तैयारी

जब आप कपास की खेती करते हो उस समय आप खेत को 2 से 3 बार अच्छी तरह गहरी जुताई करे 

भीर पाटा लगाकर खेत को समतल बना दे जिससे कि खेत मे बुवाई अच्छी तरह से हो

5.कपास की उन्नत किस्में kapas ki unnat kisme

1.राशी 773

2.राशी 776

3.राशी 602

4.राशी 650

5.SP 7172

6.SP 7272

7.US 51

8.US 71

9.US 81

10.US 91

11.Shriram 6588

12.Shriram 6488

राशी 773

यह वेरायटी अगेती बिजाई के लिए उपयुक्त  है 

इस वेरायटी को ज्यादा पानी ज्यादा खाद की आवश्यकता होती है

 इसके लिए काली ओर जलोढ़ मिट्टी  ज्यादा कारगर है

 क्यो की इसकी ज्यादा उपजाऊ के लिए ज्यादा खाद पानी की आवश्यकता होती है

 इसको हल्की जमीन में ओर लेट बिजाई  ना करे

राशी 776

यह वेरायटी भारी मिट्टी में  मधयम मिट्टी में  ओर थोड़ी हल्की  मिट्टी में भी लगा सकते हैं

इसके किये मिठ्ठे पानी की आवश्यकता होती है

राशी 602 ओर राशी 650

ये दोनों वेरायटी हल्की मिट्टी रेतीली मिट्टी कम पानी मे भी लगा सकते हैं

SP 7172 ओर SP 7272

ये दोनों वेरायटी बायर कम्पनी की है

ये दोनों ही वेरायटी अच्छी है यह भारी मिट्टी और अच्छे पानी के लिए उपयुक्त है

US 51,US 71,US 81,ओरUS 91

ये वेरायटी US Agriseed की है

US की ये 4 वेरायटी मुखय रूप से आती है

US की ख़ास बात यह है की इनका टिण्डा थोड़ा बड़ा होता है

ये समय पर फूल  पतिया उठा लेती है यानी कि ये फाल पर आ जाती है

अगर कपास के पौधे लास्ट में जल जाते हैं तो भी इसमे नुकसान ज्यादा नही उठाना पड़ता है 

क्यो की टिंडे इसमे जल्दी बन जाते हैं

US 51 ओर US 91 वेरायटी की बिजाई हम थोड़ी हल्की मिट्टी में भी कर सकते हैं

Shriram 6588 ओर Shriram 6488

ये दोनों श्रीराम कम्पनी की सेम वेरायटी है

इसका मध्यम और हल्की मिट्टी में बहुत अच्छा रिजल्ट मिलता है

नॉट इन ये सभी वेरायटी  आपके क्षेत्र के हिसाब से अलग अलग वेरायटी की बुवाई होती है जलवायु मिट्टी के आधार पर आप  बुवाई करे 

कपास की खेती के लिए बीज

संकर तथा बीटी के लिए 4 किलो बीज प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए

देशी ओर नरमा किस्मो की बुवाई के किये 12 से 16 किलो बीज प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए

बीज लगभग 4 से 5 सेंटीमीटर की गहराई में डाले ताकि अकुंरण अच्छा हो

कपास की खेती में खरपतवार नियंत्रण | kapas ki kheti me kharpatwar

 किसानों को कपास की खेती में खरपतवार को रोकने के लिए  स्टाप एक्सट्रा दवा का उपयोग बुवाई के बाद वह अकुंरण से पहले करे

 यह एक प्रकार का  बहुत ही अच्छा  खरपतवार नाशक है साथ मे किसी भी फसल को कोई नुकसान नही पहुचता है

  इसका उपयोग  70 से 75 ML 15 लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करें

  इसके अलावा शाकनाशी दवा पेनडिमिथालिन  का भी उपयोग कर सकते हैं

  इसके लिए 3.3 लीटर दवा का उपयोग प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उपयोग करे 

  इस दवा को आप बुवाई करने के  48 घण्टे के अंदर अंदर छिड़काव करना चाहिए

  क्यो की इस दवा का रिजल्ट लेने के लिए जमीन में नमी का होना जरूरी है

  इन दवाओं के उपयोग करने पर आपकी फसल में 40 दिन तक खरपतवार मुकत रहेगी

बीज बोने के 45 दिन बॉद खरपतवार हाथ से निकाल देना चाहिए 

जिससे आपके खेत मे 15 दिन खरपतवार नही होगी

अगर आप ने खरपतवार नाशक दवा का उपयोग नही किया है तो बुवाई के 18 दिन बाद निराई गुडाई अवशय करे 

अगर समय पर निराई गुडाई नही की गई तो पोधो को सही रूप से भोजन नही मिल पायेगा ओर पौधे कमजोर हो जायेगे

कपास की खेती मे रोग नियंत्रण | kapas ki kheti me rog niyantran

कपास की खेती में मुख्य किट नुकसान पहुचाते है

1. मिलिभग

2.  हरा तेला

3. थ्रिप्स

4. गुलाबी सूंडी

5. अमेरिकन सूंडी

6. सफेद मक्खी

7. दीमक 

8. माहु

मिलिभग

यह कपास की फसल को बहुत ज्यादा नुक्सान पहुचाता है

यह पते वह डाली पर सफेद रंग का पाउडर सा लगा रहता है

यह पोधे का रस चुस्ता है

अगर आप को ऐसा कुछ पोधो पर पर दिखाई देता है तो उसे जड़ से उखाड़ कर जमीन में दाब दे या जला कर नस्ट कर दे

अगर आप इस नही करोगे तो यह आगे से आगे चलता रहता है

इसकी रोकथाम के लिए एडमायिर( बायर कंपनी की)  70 से 75 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी मे इस्तेमाल करे

हरा तेला

ये हरे पिले रग के होते हैं 

इनके बच्चे पतियो के निचे से रस चूसते है

जिसके कारण पतिया पीली पड़ जाती है और निचे गिरने लगे जाती है 

अगर पतिया ही पोधे पर नही रहेगी तो पौधा खराब हो जाता है 

इसके रोकथाम के लिए D ONE दवा 150 ml प्रति एकड़ लगभग 200 लीटर पानी मे इस्तेमाल करे 

थ्रिप्स

यह पतियो के नीचे होती है 

ये जू जितनी होती है

ये फसल को बहुत नुकसान पहुचाती है

ये पतियो की जो नाडी /नली होती है उससे रस चुस्ती है

इसके रोकथाम के लिए बायर कम्पनी की रीजेंट 250ml + कांफीडोर 125ml प्रति एकड़ 200 से 250 लीटर पानी मे इस्तेमाल करे

आप largo दवा का भी उपयोग कर सकते हैं 80ml प्रति एकड़ के हिसाब से

गुलाबी सुंडी

यह सूंडी नरमे के टिंडे में गुस कर नुकसान पहुचाती है

इसके रोकथाम के लिए कोराजल 60ml प्रति एकड़ के हिसाब से 200  लीटर पानी मे उपयोग करें

अमेरिकन सूंडी

यह कपास के जो फूल होते ह उसमे ओर टिंडों में गुस जाते है और नुकसान पहुचाते है

इसके रोकथाम के लिए कोराजल 60ml प्रति एकड़ के हिसाब से 200  लीटर पानी मे उपयोग करें

सफ़ेद मक्खी/ व्हीट फ्लाई

सफेद मक्खी पतो पर चिप चिपा छोड़ देती है 

जिसके कारण पोधे प्रकाश शसलेसन द्वारा भोजन  नही बना पाते हैं ओर पते काले पड़ जाते हैं

कपास फसल में सफेद मक्खी को नियंत्रित करना बहुत ही जरूरी है

शुरू में इस पर नियंत्रण नही कर पाते हो तो बाद में इस पर नियंत्रण करना मुश्किल है

सफेद मक्खी के कारण फसल पर कहीं प्रकार के रोग आते हैं ओर रोग को फैलाने का काम करती है सफेद मक्खी

सफेद मक्खी की रोकथाम 

 1. डाइफेन्थरण 240 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लिटर पानी मे उपयोग करे

 2. LENO के उपयोग से  सफेद मक्खी नर्वस हो जाती है जिससे उसका खाना पीना बन्द हो जाता है और 3-4 दिन में मोत हो जाती है 

इसकारण इसका रिजल्ट 3-4 दिन बाद दिखाई देता है 

अगर सुरु के  3-4 दिन सफेद मखी आपको उड़ती हुही दिखाई दे सकती है परन्तू ये पोधो को नुकसान नही पहुँचा सकती 

लीनो के उपयोग से मादा सफेद मक्खी में अण्डे देने की क्षमता नही रहती

इसकी डोज 400 से 500 ml प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करे

दीमक 

यह फसल में नही होती यह जमीन में होती हैं जमीन से फसल को नुकसान पहुचाती है

बिजाई के पहले  क्लोरो 500ml, या बाइफेनथारीन 500 ml या एकतारा 250 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से इस्तेमाल करे

माहू/तेला

इसकी रोकथाम के लिए  पनामा 60 से 65ग्राम प्रति एकड़ ले हिसाब से 200 लीटर पानी  में इस्तेमाल करे

कपास के पौधे के फल फूल जड़ने से रोकना

कपास के पौधे का फल फूल जड़ने का कारण ज्यादा पानी या बरसात का होना है

या कम मात्रा में पानी मिला हो तो भी फल फूल जडने लग जाते हैं

इसकी रोकथाम के लिये planofix दवा का उपयोग करे

इसके लिए 5ml दवा 15 लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करें

इसके अलावा गोजरेज कम्पनी का double नाम से दवा आती है उसका उपयोग करे

इसकी डोज 120 ml प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें

 कपास की खेती में चमत्कार दवा का उपयोग 

इस दवा में टेक्निकल मेपिक्वाट क्लोराइड पाया जाता है

कपास की खेती में चमत्कार दवा का उपयोग करने पर फालतू की ग्रोथ को रोकता है

पोधे की चौड़ाई बढ़ाने में सहायक है

फल फूल को झड़ने से रोकता है

इसका उपयोग 2ml प्रति लीटर पानी करे

इसकी एक बार ही स्प्रे करनी चाहिये

इसका असर 5-6 दिन में दिखाने लग जाता है

Gainexa Upl दवा का उपयोग

 

यूपीएल का गेनेक्सा का उपयोग हम कपास की खेती में करके बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं

गेनेक्सा के उपयोग से फलों का विकास जल्दी होता है

ओर एक बहुत अच्छी गुणवत्ता वाली फसल होती है

गेनेक्सा के उपयोग से कीटो का परभाव भी कम हो जाता है तथा पानी की कमी को  कभी हद तक पूरा करता है

फसल में रोग प्रति रोधक क्षमता बढ़ाती है ओर पोषक तत्वों की कमी को पूरा करती है

फलो ओर फूल को जड़ना रोकती है ओर ज्यादा मात्रा में फल और फूल प्राप्त होते हैं

इसका उपचार 500 ml प्रति एकड़ के हिसाब से करे 

उलाला UPl की दवा का उपयोग

यूपीएल कंपनी का उलाला ब्रांड स्पेक्ट्रम, सिस्टेमिक व ट्रांस्लेमीनार कीटनाशक है जो पूरे पोधे में फैलकर सभी प्रकार के रस चूसक कीटो सभी मच्छरो को नस्ट कर देता है

यह सफेद मक्खी , थ्रिप्स, हरा तेला सभी प्रकार के मछरों को नष्ट करता है

इसकी डोज 80 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से छड़काव करे

 बीटी कपास का उपयोग

जैव प्रौद्योगिकी के द्वारा ऐसी फसले उत्पन्न की जा रही है

जिसमे कीटनाशको की आवश्यकता नही होती है

क्यो की ये पादप जातीय पिडक प्रतिरोधी होती है इसका मतलब यह है कि बायोटेक्नोलॉजी के मध्यम से ऐसी फसले तैयार की जाती है जिसमें विभिनन प्रकार के किट आक्रमण नही करेगे

बीटी प्रोटीन के जिन को जीवाणु से अलग कर पादप कोशिकाओ में निवेशित कराया जाता है

इस प्रकार बने टॉसजिनिक पौधे किट पीड़को के प्रति प्रतिरोधकता प्रदर्षित करते हैं

बेसिलस यूरिनजिएसिस नामक निवाणु ऐसी प्रोटीन का निर्माण करता है जिसमे अनेक प्रकार के कीटो को नष्ट करने की क्षमता होती है

बेसिलस जीवाणु से बना जीव विष कीटनाशक होता है

लेकिन जीवाणु में निष्क्रिय रहता है ओर किट में पहुँचते ही सक्रिय हो जाता है तथा कीटो की म्रत्यु हो जाती है

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