पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें

पपीते की खेती की जानकारी

किसान भाइयों पपीता एक ऐसा फल है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है पपीता मेक्सिको ओर अमेरिका से लियायी गई फसल है

किसान पपीते की खेती को धीरे धीरे नगदी फसल के रूप में अपना रहा है साथ मे पपीते को वैग्यानिक तरीके से भी खेती कर रहे है

पपीता भारत का प्रमुख फल है जिसकी खेती भारत के अलावा कुछ अन्य देशों में भी इसकी खेती की जाती है जैसे की। ब्राजील, मलेशिया, आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, मैक्सीको, अमेरिका , आदी देशों में इसकी खेती की जाती है ( पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें )

अगर हम पपीते के उत्पादन की बात करे तो इसका सबसे अधिक उत्पादन भारत मे होता है किसान भाइयों पपीता की खेती एक ऐसी खेती है जो कि एक साल के अंदर अन्दर फल देना शुरू कर देती है ओर अच्छी कमाई भी किसान कर लेते है

किसान भाइयों अगर आप भी पपीते की खेती से अच्छे पेसे कमाना चाहते हो तो आपको पपीते की खेती के बारे में सभी जानकारी होना बहुत आवश्यकता है कि पपीते की खेती किस समय की जाती है, पपीते की किस्मे, पपीते के पौधे लगाने के तरीके, पपीते की खेती में सिचाई, पपीते की खेती में रोग नियत्रण आदी इन सभी की जानकारी अगर आपको है तो आप पपीते की खेती कर सकते हो अगर किसान भाइयों आपको पपीते की जानकारी नही है तो आपको हमारे आर्टिक्ल में सभी जानकारी मिल जायेगी जो एक पपीते की खेती के लिए आवश्यक है इसके लिए आपको कही ओर जाने की आवश्यकता नही पड़ेगी। तो आइए हम विस्तार से सभी जानकारी आपको देगे जिससे किसान भाई पपीते की खेती करें और लाखों की आमदनी प्राप्त करें

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पपीता की खेती का समय , पपीता बोने का समय

किसान भाइयों पपीते की खेती आप 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक खेत मे रोपाई कर सकते हो इसके अलावा 15 फरवरी से 15 मार्च के बीच मे भी खेत मे रोपाई कर सकते हो।

खेत मे रोपाई करने के 2 माह पहले इसकी नर्सरी तैयार कर लेनी चाहिए उसके बाद ही इनको खेत मे लगाए जिससे पोधे अच्छे चलेंग

तापमान

किसान भाइयों पपीते की खेती 30 डिगी से 40 डिग्री तापमान पर की जा सकती है अगर इससे अधिक तापमान है तो पपीते की खेती नही होगी

इसके अलावा न्यूनतम तापमान 7 डिग्री तक रह सकता है इससे ज्यादा पपीता की फसल सहन नही कर पाता

पपीते की किस्मे ( पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें )

किसान भाइयों पपीते की खेती करने से पहले आपको पपीते की सभी किस्मो के बारे में जानकारी लेना बहुत आवश्यक है उसके बाद ही आप पपीते की रोपाई शुरू कर सकते हो क्यो की पपीते की दो नस्ल होती है एक द्विलिंगी ओर उभयलिंगी

किसान भाइयों आपको यह मालूम होना आवश्यक हैं की कौनसी नस्ल के कितने पोधे लगाने चाहिए इसके अलावा आपको यह मालूम होना चाहिए कि द्विलीगी पोधो वह उभयलिंगी पोधो की कौनसी किस्म अच्छा पैदावार देती है इस तरह की सभी जानकारी प्राप्त करने के बाद ही आप पपीते की किस्मो का चयन करें वह अपने खेत मे लगाए। तो आइये हम इन सभी बातों को विस्तार से जानते है

पपीते की 2 नस्ल होती है
द्विलीगी ओर उभयलिंगी

द्विलीगी किस्मे

पूसा नन्हा, पूसा डुवार्फ, पंत पपीता 1, पंत पपीता 2, इन किस्मो में नर और मादा अलग अलग होते है

उभयलिंगी किस्मे

सीटा, रेड लेडी, अर्का सूर्या, अर्का प्रभात

ताइवान रेड लेडी 786 पपीता की खेती

यह किस्म बहुत अच्छी किस्म है इस किस्म को पजाब के क्रषि विश्वविद्यालय लुधियाना द्वारा विकसित की गई है रेड लेडी 786 एक सकर किस्म है इस किस्म में नर और मादा दोनों फल देते है इस किस्म में फल 7 से 8 महीने बाद फल देने शुरू कर देती है इस किस्म में 40 से 50 किलो फल प्रति पौधा देता है इस किस्म के फल का वजन 400 ग्राम से लेकर 1 किलो तक का होता है इस किस्म में एंटी ऑक्सीडेंट पोषक तत्व केरोटीन, पोटेशियम, विटामिन, आदी गुणकारी तत्व मौजूद होते है जो कि शरीर के लिए बहुत लाभदायक है इस किस्म को हरियाणा, उत्तरप्रदेश, झारखंड, दिल्ली, राजस्थान, आदी राज्यो में लगाया जाता है

पूसा डेलिसियस

पूसा डेलिसियस प्रजाति में द्विलीगी ओर उभयलिंगी दोनों पोधे होते है तथा उभयलिंगी पोधो भी इस प्रजाती में फल देते है
पूसा डेलिसियस के फल का वजन 1 से 2 किलो तक का होता है यह वेरायटी 45 से 50 किलो प्रति पौधा के हिसाब से उत्पादन देती है

पूसा मजेस्टी

यह किस्म भी द्विलीगी ओर उभयलिंगी दोनों प्रकार के पौधे निकलते है यह वेरायटी 50 सेमी की ऊँचाई से फल देना शुरू कर देती है इस वेरायटी में फल का वजन 1 से 2.5 किलो तक का होता है तथा इस वेरायटी में 40 से 45 किलो प्रति पौधा उत्पादन देती है इस वेरायटी में विषाणु रोग का प्रकोप बहुत कम होता है

पूसा ड्वार्फ

इस वेरायटी में द्विलीगी ओर उभयलिंगी पोधे निकलते है इस किस्म के पौधे बोने होते है जिसके कारण आधी ओर तूफान से इस किस्म के पौधे का नुकसान बहुत कम होता है
इस किस्म के फल का वजन बहुत कम होता हैं एक फल का वजन 500 ग्राम से लेकर 1.5 किलो तक का ही होता है
इस कि पैदावार की बात करे तो 40 से 50 किलो प्रति पौधा के हिसाब से उत्पादन दे देती है

पूसा जायट

इस किस्म में नर और मादा दोनों अलग अलग होते है इस किस्म के फल बड़े होते है जिसका वजन 1.5 से 3.5 किलो तक होता है
लेकिन इस किस्म का उत्पादन कम होता है इसके उत्पादन की बात करे तो 30 से 35 किलो प्रति पौधा उत्पादन दे देती है इस किस्म का फल पेठा ओर सब्जी बनाने के लिए काफी उपयुक्त है

कुर्ग हनी ड्यू

इस किस्म के फल लम्बे अंडा आकार के होते है इस फल का भजन 1.5 से 2 किलो तक का होता है इस किस्म के पोधे का उत्पादन 70 किलो प्रति पौधा होता है

पपीते की नर्सरी

किसान भाइयों पपीते की खेती से पहले आपको पपीते की नर्सरी तैयार करना बहुत आवश्यक है उसके बाद ही आप पपीते को खेत मे लगा सकते हो

किसान भाइयों पपीते की नर्सरी तैयार करने के लिए आपको खेत में पोधे लगाने से 2 माह पहले नर्सरी तैयार करनी चाहिए

नर्सरी तैयार करने के लिए थोड़ा ऊंचा बेड तैयार कर ले जिस पर पानी एकत्रित ना हो सके

बेड को तैयार करने के लिए कंपोस्ट खाद या केचुआ खाद का प्रयोग करे जिससे पौधा जल्दी से ग्रोथ करेगा

पपीते के बीज को नर्सरी में लगाने से 24 घण्टे पहले पानी मे भिगो कर रख दे जिससे बीज अच्छी तरह अंकुरित हो।

उसके बाद नर्सरी में एक एक बीज को हल्की नाली बनाकर रख दे और उपर हल्की हल्की मिट्टी बिछा दी जिससे बीज बाहर ना दिखे

बीज की रोपाई से पहले बीज को करबेंडाजिम से उपचारित करे इसके लिए एक ग्राम दवा से 1 किलो बीज को उपचारित करे

नर्सरी में जब पौधा 20 से 25 दिन का हो जाता है तो आप पोधो को जड़ से उखाड़ कर पॉलिथीन थैली में लगा दे जिससे खेत मे लगाना बहुत आसान हो जाता है

जब पौधा 2 माह के लगभग हो जाता है तो आप उसे खेत मे लगा सकते हो

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पपीते की खेती के लिए खेत तैयार ( पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें )

किसान भाइयों पपीते की बुवाई से पहले खेत को तैयार करना बहुत आवश्यक है उसके बाद ही आप पपीते के पोधो की रोपाई करे

पपीते के खेत की तैयारी करने के लिए खेत को कल्टीवेटर या हल से अच्छी तरह 2 से 3 बार बुवाई करे या मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करे जिससे मिट्टी मुलायम बनी रहेगी

पपीते के खेत में लास्ट जुताई से पहले खेत मे गोबर की खाद और कम्पोस्ट खाद डाल दे उसके बाद फिर से कल्टीवेटर से जुताई कर दे जिससे खाद मिट्टी में अच्छी तरह मिल सके

उसके बाद पाटा लगा दे जिससे खेत में पानी रुकने की समस्या नही आएगी और मिट्टी भी समतल हो जाती है ( पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें )

खेत को अच्छी तरह तैयार करने के बाद खेत मे जहाँ जहाँ पर पोधे लगाने है वहाँ वहां पर गड्डे तैयार कर ले जिसमे भी खाद डाल दे उसके बाद आप खेत मे पोधे लगा सकते हो

किसान भाइयों खेत मे पोधे लगाने के तुरत बाद सभी पोधो में हल्की सिचाई कर दे

पपीते के पोधो की रोपाई

किसान भाइयों पोधे की रोपाई करते समय कुछ बातों को धियान में रखना बहुत आवश्यक है उसके बाद ही हमे पोधो की रोपाई शुरू करनी चाहिए तो आइये जानते है

किसान भाइयों पोधो को खेत मे लगाते समय पोधो से पोधो की दूरी 6 से 7 फुट की होनी चाहिए

किसान भाइयों जिस जिस स्थान पर पोधे लगाने है उस उस स्थान पर गड्ढे बना ले ओर उसमें फर्टिलाइजर डालकर केंचुआ खाद डालकर , गली गोबर की खाद डालकर, गड्ढे को अच्छी तरह तैयार कर ले जिससे पोधो की ग्रोथ जल्दी से जल्दी अच्छी हो।

पौधों को खेत मे लगाने के 15 से 20 दिन पहले गड्ढे को तैयार कर ले गड्डों का साइज 1.5 फिट × 1.5 फिट कर ले।

पपीते की खेती में खाद वह उर्वरक

किसान भाइयों पपीता की खेती मे हमें समय समय पर खाद वह उर्वरक का धियान रखना आवश्यक है क्यो की पपीते को एक साल में 250 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम सुपर फोस्फेट, 500 ग्राम पोटास, प्रति पोधे के हिसाब से आवश्यकता पड़ती है

किसान भाइयों हम इस खाद को खेत मे किस तरह से डालनी है इसकी जानकारी देंगे आप उसी हिसाब से अपने खेत मे खाद डाले ताकी आपकी फसल अच्छी उपज दे

किसान भाइयों एक साल में दिए जाने वाली खाद वह उर्वरक को आप 6 भाग में बात ले
जिसका पहला भाग 25 से 30 दिन के अंतराल पर देना है जिसमे आपको नाइट्रोजन की मात्रा 40 ग्राम , सुपर फोस्फेट 80 ग्राम, पोटाश 60 ग्राम के हिसाब से प्रति पौधा देनी है

रोपाई के 60 से 70 दिन बाद

DAP 70 ग्राम, सुपर फोस्फेट 80 ग्राम, पोटाश 70 ग्राम के हिसाब से प्रति पोधे डाले

रोपाई के 100 से 110 दिन के बाद यूरिया 60 ग्राम, सुपर फोस्फेट 100 ग्राम प्रति पोधे के हिसाब से खाले

रोपाई के 155 से 165 दिन के बाद यूरिया 50 ग्राम, सल्फेट 50 ग्राम पोटाश 100 ग्राम के हिसाब से प्रति पौधा दे।

रोपाई के 220 दिन से 230 दिन के बाद पोटाश 100 ग्राम प्रति पौधा के हिसाब से दे

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पपीते की खेती में सिचाई

किसान भाइयों पपीते की खेती में सिचाई करते समय हमे कुछ विशेष बातों का धियान में रखना बहुत आवश्यक है इसके अलावा पपीते की खेती में सिचाई कब करे इसका भी धियान रखना चाहिए

पपीते की खेती में सिचाई करते समय यह धियान रखे कि पानी पपीते के पौधे को टच ना करे अगर पानी पोधो को टच कर रहा है तो पोधो में गलन/ सडन समस्या आ सकती है इसके लिए पपीते के पोधो के चारो ओर मिट्टी चढ़ा दे जिससे पानी पपीते के पौधे को टच ना करे

किसान भाइयों पपीते की खेती में गर्मियो के मौसम में 5 से 7 दिन के अन्तराल पर हल्की सिचाई करते रहे वह सर्दियों के मौसम में 10 से 15 दिन के अंतराल पर हल्की सिचाई करते रहे।

पपीते की खेती में लगने वाले रोग वह नियंत्रण

किसान भाइयों पपीते की खेती में बहुत से रोग लगते है जिसका समय समय पर निवार्ण करना बहुत आवश्यक है अगर हम समय समय पर पपीते की खेती में रोग नियंत्रण नही करेगे तो हमे अच्छी आमदनी प्राप्त नही होगी इसके लिए हमे सभी रोगों के बारे में जानकारी भी होनी चाहिए कि पपीते की खेती में कोन कोन से रोग लगते है और इससे कैसे नियंत्रण पाए
तो आज हम यह सभी जानकारी देंगे जिससे आप अपनी पपीते की खेती को अच्छी तरह स्माल कर सकते हो ( पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें )

रिग स्टॉप रोग

यह एक विषाणु रोग है इस रोग से पतिया कटी फ़टी हो जाती है वह तनों ओर फलो पर छोटे छोटे धब्बे बन जाते है यह रोग वर्षा के दिनों में बहुत जल्दी से फैलता है इसकी रोकथाम करना बहुत आवश्यक है क्यो की अगर इसकी समय पर रोकथाम नही की जाती तो फल की गुणवत्ता और उत्पादन में काभी प्रभाव पड़ता है

इसकी रोकथाम के लिए डाईमेथोएट दवा का 2 मिली प्रति लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करें इसका छिड़काव प्रति माह करते रहना चाहिए इसके अलावा अगर आप कम्पोस्ट खाद या निम की खली का प्रयोग करोगे तो विषाणु रोग पर काभी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है

तना वह जड़ गलन

इसमे तना नीचे से पिला पड़ जाता है पिला पड़कर पौधा गलना शुरू हो जाता है इसके रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सिक्लोराइड दवा का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी मे घोल बनाकर छिड़काव करें

मोजेइक रोग

इस रोग में पपीया मुड़नी शुरू हो जाती है वह पतिया पीली पड़ने लग जाती है साथ मे सुकुड़ना शुरू हो जाती है इसके बचाव के लिए मेलाथियान 50 ईसी दवा का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी मे घोल बनाकर छिड़काव करें

फल सडन रोग

किसान भाइयों फल सडन के कई कारण होते है जिसमें से प्रमुख कारण कोलेटोट्ररोईकम गलियोंस्पोराइड्स है इस रोग में आधे पके हुवे फल वह पके हुवे फल रोगी हो जाते है जिसके कारण फल के ऊपर काले वह भूरे रंग के धब्बे बन जाते है जो कि धीरे धीरे आपस मे मिल जाते है

इसकी रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 2 ग्राम प्रति लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करें या मेंकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर में घोल बनाकर पोधो पर ओर फलों पर छिड़काव करें जिसमे रोग पर काभी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है ( पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें )

पूर्ण कुचन रोग

इस रोग में ऊपर की नई पतिया सबसे पहले प्रभावित होती है जिसमे प्रभावित पतिया खुरदरी हो जाती है और पतिया नीचे की ओर मुड़ जाती है किसान भाइयों यह रोग फल वह फूल आने से पहले पोधो में दिखाई देता है तो शत प्रतिशत हानी हो सकती है इसके लिए इसका समय पर उपचार करना बहुत आवश्यक है

इसके रोकथाम के लिए प्रभावीत पोधो को जमीन में दबा दे या उन्हें जला दे जिससे रोग आगे ना फैले
पपीते के पौधे हमे पौधशाला में तैयार करने चाहिए जिसमें नियमित रूप से मोनोक्रोटोफोस का प्रयोग 10 से 15 दिन के अंतराल पर करते रहे

मोजेक रोग

किसान भाइयों मोजेक रोग सफेद मखी के द्वारा फैलाया जाता है जिसमे पपीता सिकुड़ जाता है जिसमे पोधे की पतिया छोटी रह जाती है इस रोग का समय पर रोकथाम करना बहुत आवश्यक है

मोजेक रोग से रोकथाम के लिए समय समय पर नीम तेल का प्रयोग करे जो कि जो कि 5 मिली प्रति लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करते रहे जिससे किट दूर रहेंगे और पोधे आपकी फसल को नुकसान नही पहुचा पाएंगे

किसान भाइयों जिस पोधो में मोजेक रोग लग गया है उन पोधो को जड़ से उखाड़ दे ओर जमीन में दबा दे या जला दे

किसान भाइयों इसके अलावा आप रासायनिक विधि से भी नियत्रण पा सकते हो। इसके लिए आपको इमिडाक्लोप्रिड्ड 1 मिली दवा को प्रति 3 लीटर पानी मे घोलकर पोधो पर छिड़काव करे जिससे आप इस कीट से काभी हद तक नियत्रण पा सकते हो।

लाल मकड़ी

पपीते की खेती में लाल मकड़ी रोग प्रमुख रोग है इस रोग से पपीते के फल काले पड़ जाते है वह खुरदरे हो जाते है ओर पतिया पीली पड़ने लग जाती है
इसका समय पर नियंत्रण करना बहुत आवश्यक है जिससे पपीते की खेती में नुकसान होने से बचा जा सके
इसके नियत्रण के लिए आपको वेटेबल सल्फर 2.5 ग्राम प्रति प्रति लीटर पानी मे घोल बनाकर छिड़काव करे या ओमाइट दवा 1.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करे साथ मे लाल मकड़ी से प्रभावित पतिया तोड़कर जला दे या मिटी में दबा दे।

पपीते की खेती में उपज ( पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें )

किसान भाइयों आम तौर पर पपीते का एक पौधा 35 से 50 किलो पपीता देता है अगर हम राष्ट्रीय स्तर की औसत पैदावार की बात करे तो एक हेक्टेयर में 320क्विटल फल देता है

अगर हम प्रति पोधे के बेच में 6 फिट की दूरी रखे तो एक हेक्टेयर में लगभग 2250 पोधे लगा सकते हो जिसमे से औसत पैदावार 700 से 900 क्विटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त की जा सकती है

पपीते की खेती में धयान रखने योग्य बाते ( पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें )

किसान भाइयों शुरू के 30 दिन तक पोधो के चारो ओर मिट्टी लगाते रहे जिससी पानी से जो गलन या सडन समस्या आती है उसे बचा जा सके

अगर आपको पोधो में सडन समस्या दिखाई देती है तो इसके बचाव के लिए कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 2 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव करे। ( पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें )

पोधो की अच्छी व्रद्धि ओर विकाश के लिए NPK 19: 19: 19 का उपयोग करे इसका उपयोग 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से मिलाकर 15 से 20 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।

पपीते के फलों से पपेन निकालने की विधि ( पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें )

किसान भाइयों बहुत से लोगो को यह मालूम नही है कि पीपेंन होता क्या है तो हम बता दे कि पपीते के हरे फल जो परिपक्व है उस फलों में सुई चबो कर दूध निकाला जाता है और उसे सुखाया जाता है जैसे पीपेंन कहते है

पीपेंन के बहुत से फायदे है पीपीने का उपयोग मास को मुलायम बनाने में , सोन्द्रीय प्रशारण में, दाग दबे दूर करने में, पेट के दस्त, यकृत रोग, पेट की सफाई करने में उपयोग किया जाता है इसके अलावा पीपेंन का उपयोग अनेक ओषदियो में उपयोग किया जाता है।

किसान भाइयों पपीते के पोधो से आप 3 साल तक पीपेंन प्राप्त कर सकते हो। पीपीने निकालने के लिए पपीते का पौधा 90 से 110 दिन का होना चाहिए किसान भाइयों पपीते के फलों से पीपेंन निकालने के लिए सभी फलो के हल्के हल्के चीरे लगा दे चीरे अधिक गहराई में ना लगाये पीपेंन इकठा करने के लिए आप कांच या एल्युमिनियम के बर्तन का उपयोग करे धातु के बर्तन से पीपेंन की गुणवत्ता प्रभावित होती है इसके लिए धातु का उपयोग ना करे ( पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें )

पीपेंन निकालने के लिए सुबह 12 बजे तक का समय सही रहता है एक फल में 4 से 5 दिन के अंतर पर 2 – 3 बार चीरे लगाये जिससे पूरा पीपेंन निकल सके

फिर पूरे पीपेंन को पॉलीथिन की चादर पर 38 डिग्री सेल्सियस पर सूखा दे सुखाने से पहले एक लीटर दूध या पीपेंन में 350 मिली पोटैशियम मेटाबाइसल्फाइट मिला ले जिससे पीपेंन कि भंडारण समता बढ़ जाती है

पपीते के फायदे

किसान भाइयों पपीते एक ऐसा फल है जिसमे फाइबर आईरन एन्जाइम मैग्नीशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है इसके अलावा पपीता विटामिन A ओर B का भी उत्तम स्त्रोत है अगर हम विटामिन A की बात करे तो आम के बाद सबसे ज्यादा पपीता में विटामिन A पाया जाता है
इसके अलावा पपीते में विटामिन C भी पाया जाता है पपीता का फल जैसे जैसे पकता जाता है वैसे वैसे पपीते में विटामिन C की मात्रा बढ़ती जाती है ( पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें )

इसके अलावा पपीता पाचन शक्ति को बढ़ाता है ओर पित ओट यकृत जैसे रोगों में लाभदायक है

पपीते में पानी की मात्रा 89.6% होती है
पपीते में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा 9% होती है
पपीते में प्रोटीन 0.5% होता है
केल्सियम 0.01% होता है
फास्फोरस 0.01% होता है

पपीता खाने से कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है
पपीता पेट वह आंतो को साफ रखता है पपीता खाने से कब्ज जैसी बीमारी से निपटारा पाया जा सकता है
पपीता खाने से पेट की चर्बी कम होती है

आखों की रोशनी बढ़ाने में पपीता बहुत लाभदायक होता है क्यो की पपीते में विटामिन ए ओर सी भरपुर मात्रा में पाया जाता है विटामिन ए आखों की रोशनी के साथ साथ शरीर की ओर भी समस्या में लाभदायक है

कच्चे पपीते की लुगदी का लेप करने पर धाव जल्दी भरता ह इसके अलावा ह्दय, नाडिया, पेशियों की किया ठीक करने में सहायक है

निष्कर्ष

किसान भाइयों आज हमने आपको पपीता की खेती कैसे की जाती है इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी है जिसमे आपको पपीता की बुवाई कब की जाती है और पटाई कब की जाती है इसके अलावा पपीता की नर्सरी कैसे तैयार की जाती है पोधो को खेत मे कब लगाए और पपीता की कौनसी वेरायटी लगानी चाहिए पपीता की खेती में कोन कोन से रोग आते है इन सभी की जानकारी हमने आपको पपिता की खेती में दी है ( पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें )

किसान भाइयों अगर आप हमारे आर्टिक्ल को अच्छी तरह से पढोगे तो आपको पपीतासे जुड़ी लगभग सभी जानकारी मिलेगी जिससे आप भी अपने खेत मे पपिता की खेती कर सकते हो पर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हो

किसान भाइयों अगर आपको हमारे आर्टिक्ल में कोई भी जानकारी अधूरी दिख रही ही तो आप हमें कॉमेंट कर सकते हो जिससे हम आपको वह जानकारी भी इस आर्टिकल में प्रोवाइडर करवाएंगे ( पपीता की खेती, पपीता की खेती कैसे करें )

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किसान भाइयों अगर आपको किसी अन्य फसल के बारे में जानकारी लेनी है तो आप उस फसल के नाम के साथ भी हमे कॉमेंट कर सकते हो हम आपको उसकी जानकारी भी प्रोवाइडर करवाएंगे धन्यवाद।

kulwant singh bhati
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