पोदीने को मेंथा भी कहते है
किसान भाइयो पुदिना एक खुशबूदार पोधा होता है जिसे मेंथा के नाम से भी जना जाता है जिसका उपयोग आयुर्वेदिक ओषधीय में किया जाता है जिस कारण इसकी मांग भी बाजार में ज्यादा रहती है
अगर आप भी इसकी खेती करना चाहते है तो आप कम खर्च में इसकी खेती कर सकते है तो आइये पोदीने की किस्मो के बारे में वह खेती के बारे में जानकारी प्राप्त करते है
पोदीने की किस्मे
- सिम क्रांति
- कोसी
- एच. वाई.-77
- गोमती
कुछ अन्य किस्मे
एम ए एस -1
यह छोटे कद की किस्मे होती है जिसकी ऊँचाई 30 से 45 सेमी होती है
यह बीमारियों के रोधक ओर जल्दी पकने वाली किस्म है
इसमे मेन्थोल की मात्रा 70 से 80% होती है
इसमे उपज लगभग 80 क्विंटल जड़ीबूटियों के रूप में होती है तथा 50 से 60 किलोग्राम प्रति एकड़ तेल के तौर पर होती है
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हाईब्रिड-77
इसकी उचाई 50 से 60 से.मी. होती है
हाईब्रिड-77 किस्म धब्बा रोग ओर कुगी के रोधक होती है
यह किस्म जल्दी पकने वाली होती है
इसमे मेन्थोल की मात्रा 80 से 85% होती है
इसमे पैदावार लगभग 80 क्विंटल जड़ीबूटियों के रूप में होती है तथा 50 से 60 किलोग्राम प्रति एकड़ तेल के तौर पर होती है
शिवालिक
यह किस्म चीन के द्वारा चुनी गई है
यह किस्म उत्तरप्रदेश ओर उत्तरांचल में अधिक वर्द्धि करती है
यह किस्म भगस से अधिक प्रभावित होती है
इसमे मेन्थोल की मात्रा 65 से 70 प्रतिशत होती है
इसकी औसत पैदावार लगभग 120 क्विंटल जड़ीबूटियों के रूप में होती है तथा 60 से 70 किलोग्राम प्रति एकड़ तेल के तौर पर होती है।
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कोसी
यह किस्म लगभग 90 दिन में पक जाती है
यह किस्म कुंगी, सफेद धब्बे, पतो के धब्बे रोग की प्रतिरोधक है
इसमे मेंथोल की मात्रा
बिजाई का समय
पुदीने की बिजाई दिसम्बर माह से लेकर जनवरी माह तक कर सकते है
अगर आप लेट बिजाई करना चाहते है तो जनवरी के लास्ट हफ्ते में वह फरवरी के पहले हफ्ते में बिजाई कर देनी चाहिए
मिट्टी वह जलवायु
पुदिना की खेती के लिए मिट्टी ऐसी होनी चाहिए जो उपजाऊ के साथ साथ पानी को सूखने की समता ज्यादा हो। उच्च नमी वाली मिट्टी में ये अच्छा परिणाम देती है मिट्टी का PH मान 6 से 7 होना चाहिए जिसमें पोदीने अच्छे बढ़वार करते है
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खेत की तैयारी
पुदीने की खेती के लिए खेत में गहरी जुताई कल्टीवेटर से कर देनी चाहिए उसके बाद रोटावेटर से या पाटा की सहायता से खेत को समतल कर दे
खाद वह उर्वरक
बिजाई के समय जैविक खाद या रूडी की खाद 100 से 120 क्विटल प्रति एकड़ के हिसाब से डाल दे
नाइट्रोजन 58 kg
यूरिया 130 kg
फास्फोरस 32 – 40 kg
सिंगल सुपर फास्फोरस 80 से 100
पोटेशियम 20 किलो
पोटाश 33 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से
बुवाई का तरीका
पोधो की बुवाई से पहले नर्सरी तैयार कर ले
जिसमे अच्छी जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए
जब पोधा 4 से 5 पटिया निकाल ले उसके बाद आप इसे खेत मे लगा सकते हो
खेत मे रोपाई 40 से.मी. के फासले पर ओर पक्तियों के बीच 60 से.मी. फासले पर बुवाई करनी चाहिए
जड़ो को 2 – 3 से.मी. गहराई में बोना चाहिए
सिचाई
पोदीने में पहली सिचाई रोपाई के तुरंत बाद कर देनी चाहिए उसके बाद 10 से 15 दिन में सिचाई कर देनी चाहिए मानसून में जलवायु ओर मिट्टी ले आधार पर सिंचाई कर देनी चाहिए
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खरपतवार नियंत्रण
पोदीने की खेती में शुरू में 20 से 25 दिन के बाद निराई गुड़ाई कर देनी चाहिए
उसके बाद जब भी पानी लगाओ उसके बाद आप इसमे निराई गुड़ाई कर सकते है
जितनी आप निराई गुड़ाई करने से पोधा की ग्रोथ जल्दी बढ़ती है मिट्टी मुलायम बनी रहती है वह तो खाद पोधो को दी जाती है वह पोधो को पूरी मात्रा में मिल पाती है
मेंथा में रोग नियंत्रण
बालदार सुंडी
यह सुंडी पोधो के पतो को नुकसान पहुचती है जिससे तेल की मात्रा कम हो जाती है इसके बचाव के लिए डाइक्लोर वास 1 मिली दवा 1 लीटर पानी मे हिसाब से घोल कर स्प्रे करे
जड़ गलन
यह रोग ज्यादा पानी खड़े रहने के कारण हो जाता है इस रोग से जड़े गलन शुरू हो जाती है जिससे पोधो का जड़े गुलाबी रग की हो जाती है इसके बचाव के लिए रोपाई से पहले जड़ो को कार्बेडाजिम में भिगो ले उसके बाद रोपाई करे जिससे इस समस्या से बचा जा सकता है
दीमक
दीमक मके रोग से फसल को बहुत ज्यादा नुकसान होता है इससे पोधा सुख जाता है इसके बचाव के लिए क्लोरपाईरीफास 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर सिचाई के साथ खेत डाल दे
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मेंथा/ पुदिना की कटाई
किसान भाइयों पोदीने की कटाई 2 बार की जाती है पहली कटाई 100 से 120 दिन पर जब पोधो में कलिया आने लगे
पोदीने की दूसरी कटाई पहली कटाई के 70 से 80 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए
कटाई के बाद पोधो को 2 से 3 घण्टे के लिए धूप में छोड़ देना चाहिए
उसके बाद छाया में हल्का सुखा लेना चाहिए और उसके बाद आसवन विधि द्वारा तेल निकाल लेना चाहिए
पोदीने का तेल निकलते समय कुछ खास बातों का धियान
- आसवन में उपयोग होने वाली टंकी को डिटजेत से साफ ना करे
- टंकी के अन्दर किसी भी प्रकार का ग्रीस ना लगा हो
- यदि टंकी को साफ करना है तो गर्म पानी की भाप से साफ करें
- टंकी में फसल को अच्छी तरह दबाकर भरे
- सपरेटर ओर कंडेंसर स्टेनलेस स्टील के हो तेल की गुणवत्ता अच्छी रहती है
पोदीने का उपयोग वह लाभ
- पोदीने का उपयोग सब्जी वह चटनी बनाने में किया जाता हैं
- पोदीने में अनेक प्रकार के लवण पाये जाए है जो शारीर के स्वस्थ तथा तंदरुस्त बनाये रखता है
- पोदीने के उपयोग से शरीर मे हानिकारक जीवाणुओ को भी नष्ट करता है
- पोदीने द्वारा बनाया गया शर्बत पिने से गर्मी/ लू से भी बचाता है
- पोदीने के पतो को पीसकर घाव पर लगाने से जल्द आराम मिलता है
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निष्कर्ष –
दोस्तो आज के इस आर्टिक्ल के अंदर हमने आपके साथ में पोदीना की खेती कैसे की जाती है इसके बारे में विस्तार से जानकारी शेयर की है। जहां आपको पोदीने की खेती के लिए लिए बढ़िया उत्तम किस्म के बीज, पुदीने के लिए किस प्रकार के वातावरण की जरूरत होती है इसके बारे में डिटेल्स से जानकारी शेयर की है। अगर आपको पुदीने की खेती से जुड़ी कोई अन्य जानकारी चाहिए तो आप कमेंट में पूछ सकते है।
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