अरहर को हिन्दी मे तुअर भी कहा जाता है। अरहर को पंजाबी में हरहर कहते हैं, अरहर की खेती बहुत से किसान भाई करते हैं। जो किसान इसकी खेती करना चाहता है उसके लिए जून के अंतिम सप्ताह बुवाई के लिए उपयुक्त है। अरहर का प्रयोग खाने में किया जाता है यह बहुत से गुणों वाली होती है। अरहर वायु में से भूमि में नाइट्रोजन सचित करती है। अरहर में लगभग 22% प्रोटीन पाया जाता है ओर 57% कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है।
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अरहर की उन्नत किस्में कौनसी है? Arhar Ki Kisme
- प्रभात
- ग्वालियर – 3
- यू पी ए एस 120
- आई सी पी एल 151
- आई सी पी एल 87
- पूसा 9
- नरेन्द्र अरहर 1
- मालवीय अरहर 13
- पारस
- टाइप 21
प्रभात –
यह अरहर की उनत किस्म है, अरहर की यह किस्म 115 से 120 दिन में पकती है। इसके दानों का रंग पीला होता है। 1000 दानों का वजन लगबग 50 से 55 ग्राम होता है इसकी पैदावार 12 से 15 क्विटल प्रति हेक्टेयर होती है।
ग्वालियर- 3
यह अरहर की उनत किस्म 180 से 250 दिन में पकती है। इसकी उचाई 225 से 275 सेंटीमीटर होती है और इसकी पैदावार 10 से 15 क्विटल प्रति हेक्टेयर होती है।
यू पी ए एस 120 –
यह 120 से 140 दिन में पकने वाली किस्म है। इसके पौधे की ऊँचाई 150 से 200 सेंटीमीटर होती है और इसकी पैदावार 10 से 15 क्विटल प्रति हेक्टेयर होती है।
आई सी पी एल 151
यह जल्दी पकने वाली किस्म है, यह 120 से 145 दिन में पकती है इसके पकाव एक साथ आता है। इसकी उचाई 100 से 120 सेंटीमीटर होती है और इसका दान बड़ा तथा हल्के पीले रंग का होता है। यह किस्म भारी मिट्टी वाले खेत के लिए अच्छी है इस किस्म की पैदावार 12 से 20 क्विटल प्रति हेक्टेयर होती है।
आई सी पी एल 87 –
यह फसल 140 से 150 दिन में पकने वाली किस्म है, इसकी उचाई 90 से 100 सेंटीमीटर होती है। इसकी पैदावार 15 से 20 क्विटल प्रति हेक्टेयर होती है और इसकी फलिया लम्बी ओर मोटी होती है तथा गुछो में होती है। यह एक साथ पकने वाली फसल है इस फसल के बाद गेहू बोया जा सकता है।
पूसा 9 –
यह किस्म 260 से 270 दिन में तैयार होती है इसकी बुवाई जुताई सितम्बर तक कि जाती है। इसकी पैदावार क्षमता 25 से 30 क्विटल प्रति हेक्टेयर होती है जबकि सितम्बर में बोन से इसकी पैदावार 16 से 18 क्विटल प्रति हेक्टेयर है।
नरेन्द्र अरहर 1 –
यह फसल 175 से 180 दिनों में पकने वाली फसल है। इसकी पैदावार क्षमता 25 से 30 क्विटल प्रति हेक्टेयर होती है। यह भी एक बढ़िया और अच्छी पैदावार देने वाली अरहर की फसल है।
मालवीय अरहर 13 –
यह किस्म 175 से 180 दिन में तैयार होने वाली किस्म है। इसकी पैदावार क्षमता 30 से 35 क्विटल प्रति हेक्टेयर होती है इसकी बुवाई का समय 15 जून से 31 जुलाई तक है।
पारस –
यह अरहर की उनत किस्म है, यह किस्म 130 से 135 दिन में तैयार होने वाली किस्म है। इसकी पैदावार क्षमता 18 से 20 क्विटल प्रति हेक्टेयर होती है।
टाइप 21 –
यह किस्म 160 से 170 दिन में में पकने वाली किस्म है इसकी पैदावार क्षमता 16 से 20 क्विटल प्रति हेक्टेयर होती है।
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अरहर की खेती करने का तरीका | अरहर की खेती कैसे करें
अरहर के बीज कि मात्र –
अगर आप अपने खेत मे अरहर की फसल बोना चाहते हैं, तो आप खेत मे 2 फसल लेना चाहते हैं तो आपको बीज की मात्रा 20 से 25 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बुवाई करनी है। अगर आप को अरहर की एक फसल लेनी है जो देरी से पकने वाली प्रजाति है तो उसके लिए आप को 15 से 20 किलो बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बुवाई करनी है।
अगर इससे ज्यादा बीज का उपयोग करेंगे तो पोधो की सख्या तो बड जाएगी लेकिन पौधे की बढ़वार वह मोटाई अच्छी नही होगी। फसल में बीमारी का परकोप ना हो इसलिए बीज को उपचारित करके बुवाई करे, उपचारित करने के लिए थायरम 2 ग्राम ओर कार्बेडाजीम 1 ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज को उपचारित करे।
अरहर की बुवाई करने की विधि –
अरहर की फसल की बुवाई उस स्थान पर ना करे जिस स्थान पर जल भराव होता हो। जल भराव होने पर निकासी की उचित व्यवस्था करे, सबसे पहले खेत में 3 से 4 बार अच्छी तरह से कल्टीवेटर लगाये। उसके बाद खेत को समतल करने के लिये पाटा लगा दे फिर खेत मे बुवाई करनी शुरू करे। अरहर की कतार से कतार की दूरी 75 सेंटीमीटर ओर पौधे से पोधे की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर होती है।
अरहर के लिए मिट्टी कोनसी उपयुक्त है –
अरहर की खेती करने के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। इसकी बुवाई के समय 30℃ तापमान आवश्यक है।
अरहर की बुवाई का समय | Arhar ki Buwai Ka Samay
अरहर की बुवाई के लिए उपयुक्त समय अप्रेल से जून तक माना जाता है अरहर की फसल 120 से 200 दिनों में तैयार हो जाती है।
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अरहर की खेती में खरपतवार पर कैसे नियंत्रण करें
खरपतवार नियंत्रण के लिए बाजार में अलग अलग कंपनी की बहुत सी दवाइया मिलती है, इसके अलावा आप पेनडिमेथीलिन 1लीटर दवा को 250 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। इसके बाद कुछ समय के लिए खरपतवार रुक जाएगा ओर उसके बाद आप निराई गुडाई भी कर सकते हैं।
अरहर में रोग नियंत्रण कैसे करें | Arhar Me Lagne Wale Rog
अरहर की फसल में जब फूल आने शुरू हो जाते है। अरहर में कही प्रकार के कीटो का परकोप रहता है जिससे बचाना बहुत जरूरी है। फूल आने शुरू हो उस समय मे आप बिना कोई रोग के डेंसीस दवा का उपयोग 500 मिलीलीटर 1 एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें जिससे आने वाले रोग से कुछ फ़ायदा होगा।
फली छेदक किट –
इन सबमे मुख्य किट है फली छेदक किट है इस कीट की इलिया हरि पीली काले रंग की होती है। यह किट फलियों के अन्दर से दाने को खाती है इस कीट से बचाव बहुत जरूरी है। इस लिए इसके बचाव के लिए इंडोक्साकार्ब दवा 200 ML प्रति एकड़ 300 लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करें।
उकठा रोग –
इस रोग के द्वारा भी फसल को अधिक नुकसान पहुचाया जाता है इस रोग ले लक्षण पोधा पिला होकर सुख जाता है। यह धीरे धीरे पूरे खेत मे फेल जाता है अगर आप को यह रोग दिखाई दे तो आप रोग ग्रषित पोधे को उखाड़ कर नष्ट कर दे। इस रोग से बचने के लिए गर्मी में इसकी गहरी जुताई करे और बीज को उपचारित करके बुवाई करे।
पती लपेटक किट –
अरहर की फसल को पती लपेटक किट द्वारा अत्यधिक नुकसान पहुचाया जाता है। यह किट अरहर के पोधो की पतियो को लपेटकर उसपर जाला बनाता है ओर पतियो को खाता रहता है जिससे पतियो का क्लोरोफिल कम हो जाता है।
जिस कारण पोधे अपना भोजन नही बना पाते इस कारण पोधे कमजोर हो जाते हैं जिसकारण उत्पादन कम होता है। इसलिए इस कीट को पहचान कर इसका नियंत्रण अवश्य करे, इसके लिए ट्राइजोफॉस 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करे।
रस चूसक किट –
यह किट पतियो , टहनियों, ओर फूलो से रस चूसकर नुकसान पहुचाते है साथ ही यह किट विषणु जनित रोग को फैलाने का काम करते हैं। इसलिए इसके बचाव के लिए इमिडाक्लोपरिड 1 मिलीलीटर दवा को 3 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें।
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अरहर की कटाई से जुड़ी जानकारी | Arhar ki Katai se Judi Jankari –
अगर 80 से 90 प्रतिशत फली काली भूरी पड जाए तो पोधा काटने योग्य हो जाती है। ज्यादा समय रखने पर फलिया जडने ओर फटने लग जाती है इसलिए सही समय पर कटाई बहुत जरूरी है।
कटाई के बाद 8 से 10 दिन तक फसल को सूखने दे जिससे जो फली हरि है या बीज कच्चा है वह पक जायेगी। उसके बाद थ्रेसर से बीज निकलवाले ओर फिर से बीज को सूखने दे जब तक उसमे 8 से 10 प्रतिशत नमी बच्चे उसके बाद बीज को बोरो में भरकर रख सकते हैं या बेच सकते हैं।
बोरो में भरकर ऐसे स्थान पर रखे जहाँ हवादार जगह हो, कम नमी वाला स्थान हो, सामान्य तापमान वाले स्थान पर रखे।
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अरहर के फायदे क्या है? | Arhar Ke Fayde Kya Hai?
- अरहर की दालों में केल्सियम ओर आयरन की मात्रा अधिक होती है, शारीरिक ओर मानसिक विकास के लिए दालो का महत्व बहुत अधिक है। अरहर के पतो का रस या अरहर की दाल को पानी मे भिगोकर उस पानी से कुल्ला करने से मुह के छाले ठीक होते हैं।
- अगर अरहर के पतो का रस पिला दिया जाए तो अफीम का जहर उतर जाता है। अरहर को अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए उपयोग करना बहुत आसान है बताये गए तरीको के अलावा आप अरहर का उपयोग खान पान में भी कर सकते हैं।
- अरहर की फसल से मिट्टी में उर्वरक क्षमता को बढ़ाता है और अरहर की फसल में पानी की आवश्यकता भी कम होती है।
अरहर की खेती में धयान रखने योग्य बातें
- अरहर की पैदावार बढ़ाने के लिए उतम किस्म का बीज इस्तेमाल करना चाहिए जिससे पैदावार अच्छी होगी। उतम बीज से जमाव अधिक होता है उतम किस्म का बीज स्वस्थ / शुद्ध होता है।
- बीज हमेशा भरोसेमंद जगह से ले, बीज उस किस्म का खरीदे जो आप के क्षेत्र के लिए अनुमोदित है।
- अरहर की फसल में मिट्टी जांच के बाद ही खाद डाले, अरहर की फसल में नाइट्रोजन की कम आवश्यकता होती है।
- अरहर की फसल पर पाले का / कोहरे का असर बहुत अधिक होता है। इसलिए पाले से बचाने के लिए अरहर के चारो ओर धुंआ करे। पाला पड़ते समय फसल में हल्की सी सिचाईं करदे जिससे भी पाले का असर कम हो जाता है।