किसान भाइयों क्या आप ग्वार की खेती करना चाहते है तो में आपको ग्वार की खेती के बारे में बताउगा की कोनसा बीज सब्जी वाली फली के लिये बोना चाहिए
कोनसा बीज खेत मे ग्वार पकाकर बेचने के लिए बिजना चाहिए जिससे सबसे कम खर्च में अच्छी आय प्राप्त कर सके
भारत मे सबसे ज्यादा ग्वार राजस्थान में होता है
आइये सबसे पहले ग्वार के बीज की जानकारी प्राप्त करते है
ग्वार की किस्मे
संकर किस्मे ( हाइब्रिड किस्मे )
गोमा मंजरी, पूसा मौसमी
दोनों किस्मे वर्षा ऋतु के लिए अच्छी है
पूसा नवबहार, दुर्गा बहार
ये दोनों किस्मे वर्षा ऋतु वह गर्मी के मौसम दोनों के लिए अच्छी है
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दाने वाली किस्मे
दुर्गाजय, दुर्गापूरा सफेद, मरु ग्वार, RGC- 936, RGC-197, RGC- 986, RGC- 917, RGC – 417, RGC- 1002, RGC- 1003, RGC- 1017, RGC- 1031, RGC- 1066, HC- 75,
सब्जी के लिए
पूसा नवबहार, दुर्गा बहार, पूसा मौसमी, दुर्गा पूरा सफेद, दुर्गाजय, कंचन बहार,
इसके अलावा कुछ अन्य किस्मे
HG -365
यह बहुत अच्छी वैरायटी है
यह वैरायटी पंजाब हरियाणा में ज्यादा लगाई जाती है
यह किस्म 80 से 90 दिन में तैयार हो जाती है
यह अन्य किस्मो से कम समय लेती है
इसका उत्पादन 15 से 18 क्विटल प्रति हेक्टेयर है
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HG-2-20
यह किस्म हरियाणा, राजस्थान और उत्तरप्रदेश में ज्यादा लगाई जाती है
यह किस्म सिचाई वाले क्षेत्र वह जहा पर सिचाई नही होती दोनों जगत लगा सकते है
इस किस्म में जड़ गलन की समस्या नही आती
यह किस्म लगभग 90 से 100 दिन में तैयार हो जाती है
इसकी उपज लगभग 16 क्विटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से है
HG-870
यह किस्म सबसे ज्यादा हरियाणा में लगाई जाती है
यह किस्म लगभग 90 से 95 दिन में तैयार हो जाती है
इसका उत्पादन लगभग 20 क्विटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से होता है
RGC- 197
यह किस्म 100 से 120 दिन में तैयार हो जाती है
इसकी उपज 8 से 12 क्विटल प्रति हेक्टेयर है
RGC- 936
यह किस्म 80 से 95 दिन में पक जाती है
इसकी उपज 15 क्विटल प्रति हेक्टेयर होत्ती है
RGC- 986
यह किस्म 110 दिन से 125 दीन में पक जाती है
इसकी औसतन उपज 10 से 15 क्विटल प्रति हेक्टेयर होती हैं
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RCG- 1033
यह किस्म राजस्थान में लगाई जाती है
उस किस्म में जड़ गलन, फ्लाइंग जैसी समस्या नही आती
यह लगभग 95 से 100 दिन में तैयार हो जाती है
15 से 20 क्विटल इसमे उत्पादन होता है
HG – 884
यह किस्म 90 से 100 दिन में तैयार हो जाती है
उसकी उपज 15 से 20 क्विटल प्रति हेक्टेयर हो जाती है
RCG – 1055
यह किस्म राजस्थान के लिए बहुत अच्छी है
यह किस्म 95 से 106 दिन में तैयार हो जाती है
इसमे उपज 15 से 20 क्विटल तक होती है
RCG- 1066
ये किस्म लगभग 96 से 104 दिन में तैयार हो जाती है
इसमे उत्पादन 12 से 14 क्विटल तक हो जाता है
RGC – 1031
यह किस्म राजस्थान में के लिए अच्छी है
यह किस्म सबसे ज्यादा दिन 110 से 117 दिन लेती है
इस किस्म में बीमारीया कम आती है
इसका उत्पादन 15 से 20 क्विटल तक आ जाता है
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RCG – 1017
इस किस्म को पंजाब, राजस्थान, उतर प्रदेश,मध्यप्रदेश में लगा सकते है
90 से 97 दिन में पक जाती है
इसका उत्पादन 12 से 14 क्विटल तक मिलता है
RGC – 1038
यह मध्यम अवधि वाली किस्म है
वह अत्यधिक शाखा वाली किस्म है
जिसकी औसत पैदावार 10 से 20 क्विटल प्रति हेक्टेयर हो जाती है
बीज की मात्रा
15 से 20 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से भुवाई कर सकते है
सब्जी के लिए बीज 35 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से
ग्वार की बिजाई का समय
ग्वार खरीफ की फसल है जिसकी बिजाई का समय अगेती सब्जी के लिए फरवरी माह से जून वह बीज पकाव के लिए 20 जून से 10 जुलाई तक कर सकते है यह कम समय मे तैयार होने वाली फसल है
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मिट्टी
ग्वार की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी गई है जिसका ph मान 7 से 8 हो
खेत की तैयारी ओर बुवाई
खेत की बुवाई से 1 माह पहले खेत को मिटी उलटने वाले हल / तोता से उलट दे
उसके बाद जब बिजाई करनी हो तब मीठे पानी लगाकर करें ताकि फसल अच्छी हो
पानी लगाने के बाद जब खेत बतर आ जाये तब अच्छी तरह खेत को तैयार कर लेना चाहिए उसके बाद बुवाई करनी चाहिए
सिचाई
ग्वार की फसल में ज्यादा सिचाई की आवश्यकता नही होती अगर एक बारिश हो जाये तो पानी की आवश्यकता नही होती पकी मिटी में
अगर बारिश ना हो तो एक पानी की आवश्यकता पड़ती है
हल्की मिटी में 2 पानी की आवश्यकता पड़ती हैं
ग्वार में रोग नियंत्रण
ग्वार की फसल में अन्य फसल की तुलना में किट का प्रकोप बहुत कम होता फिर भी जो रोग कभी कभी देखने को मिलते है उसके बारे जानकारी देहुगा
रोगों से नियंत्रित हेतु कार्बेंडाजिम 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करे
ग्वार जी जड़ो में शीघ्र गांठे बनने तथा प्राप्त मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त हो इसके लिए राइजोबियम कल्चर से उपचारित करे
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झुलसा रोग
इस रोग में पते पिले पिले होने लग जाते है
इसके नियंत्रण के लिए कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 300 ग्राम, वह स्ट्रेप्टोसायकिलन 12 ग्राम दवा को 100 लीटर पानी मे घोल कर छिडकाव करे
जड़ गलन रोग
इस रोग के नियंत्रण के लिए कार्बेंडाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज उपचारित करके बोयें
रस चूसक किट
इमिडाकलोप्रिड 1 मि.ली. 4 लीटर पानी मे घोलकर फसल का छिड़काव करें
इसके अलावा निम तेल 5 मि.ली. प्रति लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करे
ग्वार का उपयोग
ग्वार से गोंद बनता है जो विदेशो में निर्यातक किया जाता है साथ ही ओषधीय में, खनिज उधोग में, कपड़ा उधोग में, सौन्दर्य प्रसासन में, जैसे लपिस्टिक, क्रीम, आदी इसके अलावा पशुओं का पोस्टिक आहर है ग्वार की हरि फलियों से पसब्जी बनाने में उपयोग किया जाता है।
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ग्वार की हरी फली के फायदे
ग्वार की फली में प्रोटीन, विटामीन C, विटामिन A, भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है
इसके अलावा आयरन, फास्फोरस, केल्सियम, पोटैशियम पाया जाता है
ग्वार फली के शेवन करने से पाचन सम्बंधित समस्या दूर हो जाती है
इसके सेवन से हड़िया मजबूत बनती है
यह रक्त सचार में लाभफायक है
ग्वार से सेवन से ब्लड में सुगर की मात्रा कम हो जाती है
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