सफेद मूसली एक ओषधीय पोधा है जिसकी कन्दील जड़े उपयोग में ली जाती है जिसकी देश विदेश में बहुत ज्यादा मांग रहती है एक वर्ष में लगभग 35000 टन की आवश्यकता पड़ती है।
परंतु भारत मे यह 5000 टन तक ही उपलब्ध हो पाती है इसकी डिमांड बहुत ज्यादा रहती है इसकी कमी को देखते हुए आप इसकी खेती करके अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं तो आज हम आपको इसी सफेद मूसली की खेती के बारे में विस्तार से बताएगे की आप कैसे सफेद मूसली की खेती कर सकते हो और किस किस राज्य में इसकी खेती की जा सकती है।
इसकी खेती राजस्थान, मध्य्प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु में की जा सकती है।
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सरकार ने 20 लाख करोड़ के फड़ के अंदर 4000 करोड़ का फड़ ओषधीय एव सगधीय फसलो को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है भविष्य में बहुत सारी सब्सिडी की योजना बनाई जाएगी ताकि ऐसी फसलो का उत्पादन बढ़ाया जा सके।
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सफ़ेद मूसली के नाम क्या है? Safed Musli ke Name Kya Hai
सफ़ेद मूसली को गुजराती में धोली मूसली कहते हैं, मराठी में सुफेला मूसली कहते हैं। राजस्थान में इसे सफेद मुसली के नाम से ही जाना जाता है इसके अलावा इसे शिलाजीत भी कहा जाता है क्यो की यह योन वर्धक, शक्ति वर्धक, वीर्य वर्धक के काम आता है।
सफेद मूसली खेती कैसे करें? Safed Musli ki Kheti in Hindi?
सफेद मूसली की खेती के लिए जलवायु –
सफेद मूसली खरीफ ऋतु का पौधा है, इसके लिए गर्म वह नमी दोनों जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके लिए 15 से 45 डिग्री तापमान अच्छा रहता है और इसके लिए औसत वार्षिक वर्षा 500 से 1000 MM की आवश्यकता पड़ती है।
सफेद मूसली की खेती के लिए मिट्टी –
सफेद मूसली की खेती करने के लिए रेतीली दोमट मिटटी अच्छी रहती है जिसमे जीवांश पदार्थ प्राप्त हो। जल निकास की सुविधा हो और इसकी खेती करने के लिए मिट्टी का PH मांन 6.5 से 8.5 तक होना चाहिए।
सफेद मूसली की खेती के लिए बुवाई का समय –
सफेद मूसली की बुवाई का उचित समय जून से अगस्त तक है। यह 8 से 9 माह की फसल होती है, यह फरवरी मार्च में तैयार हो जाती है। इस फसल को आप उगाने से लेकर निकालने तक कम से कम 8 महीने का समय लग ही जाता है परंतु यह पैदावार और आमदन दोनों ही बहुत देती है।
सफेद मूसली के लिए खेत की तैयारी कैसे करें –
सबसे पहले 2 से 3 बार खेत मे जुताई कर लेंगे क्यो की यह जड़ वाली फसल है , इसमे 15 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद डाल दे अगर गोबर की खाद सडी गली नही है तो आप जैविक खाद का उपयोग कर सकते हो।
उसके बाद इसमे बेड तैयार किये जाते हैं बेड की चौड़ाई 3 से 3.5 फिट तक वह उचाई 1 से 1.5 फिट तक रख सकते हो। बेड से बेड की दूरी या नालियां 1 फिट की होंनी चाहिए, प्रत्येक बेड में 3 से 4 लाइन मूसली की लगाई जाती है।
कतार से कतार की दूरी 30 CM वह पोधो से पोधो की दूरी 15 CM की होनी चाहिए, सफेद मूसली की कन्दील जड़े बोते है तो 5 से 10 ग्राम की जड़े काम मे लेनी चाहिए। जड़े 4 से 6 क्विटल प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए सफेद मूसली की जड़े वह बीज दोनो की रोपाई कर सकते हैं लेकिन बीज से उत्पादन करने में बहुत समय लगता है।
परिपक्व होने पर पतिया पूरी तरह सूख जाती है पतिया गिर जाती है पोधो को उखाडने पर जड़ो का गहरा भूरा रग दिखने लगता है तो फसल तैयार है। इसके बाद कटाई से पहले सिचाईं देनी जरूरी है क्यो की जड़े आराम से बाहर निकल जाए।
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सफ़ेद मूसली की खेती से जुड़ी विडियो देखें
सफेद मूसली में खाद –
सफेद मूसली में कोई भी रासायनिक खाद का उपयोग नही करना है, यह एक ओषधीय फसल है इसलिए जैविक रुप से ही उत्पादन किया जाता है। उत्पादन बढ़ाने के लिए गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग कर सकते हैं।
अगर आप सफ़ेद मूसली की खेती के लिए जैविक खाद तैयार करना चाहते है तो जैविक खाद बनाने की विधि क्या है आर्टिक्ल पढ़ सकते है।
सफेद मूसली की खेती में बीमारी कौनसी लगती है एवं बीमारियों से बचाव –
- लीफ स्पाट
- ब्लाईट
- निमाटोड
इन बीमारियों के लिए ट्राइकोडर्मा का उपयोग या निम केक का उपयोग कर सकते हो, कीटनाशक के लिए ज्यादातर जैविक कीटनाशक का उपयोग करना चाहिए।
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सफेद मूसली के फायदे | Safed Musli ke Fayde in Hindi
- सफेद मूसली के बहुत से फायदे है प्राचीनकाल से ही सफेद मूसली का प्रयोग किया जा रहा है
- सफेद मूसली के सेवन से माताओ का दूध बढ़ाने के काम मे लिया जाता है
- सफेद मूसली के सेवन से ल्यूकोरिया बीमारी में काम मे आता है
- प्रसव के बाद होने वाली बीमारियों में काम ली जाती है
- खासी, बवासीर, चर्म रोगों में, पेसाब में, पीलिया आदी में काम आता है
इसके अलावा भी अनेक प्रकार के फायदे सफ़ेद मूसली के आपको देखने को मिलेगे। इसका इस्तेमाल बहुत सी बीमारियों के लिए भी किया जाता है।
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सफ़ेद मूसली की कोन कोन सी जातियां है Safed Musli ki Jatiya Kya Hai
- क्लोरोफाइटस अरुण्डी नेशियम
- क्लोरोफाइटस एटे यूऐटम
- क्लोरोफाइटस बोरी विलिएनम
- क्लोरोफाइटस टयूबरोसम
राजस्थान गुजरात और मध्य्प्रदेश में सबसे ज्यादा क्लोरोफाइटस बोरी विलिएनम ओर क्लोरोफाइटस टयूबरोसम उगाई जाति है।
सफ़ेद मूसली की किस्मे –
MDP-13, MDP- 14, MCP-405, MCB-412, RC-2, RC-16, RC-36, RC-20 , RC-23, RC-37, CT-1 , जवाहर सफेद मूसली 405, राजविजय सफेद मूसली 414, MHD BIO – 13
कुछ हारब्रेड किस्मे – RC-5 , RC-15, CTI-1 , CTI-2, CTI-17,
सफेद मूसली का उत्पादन –
इसकी कन्दील जड़े 10 से 20 क्विटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होता है वह इसे सुखाने के बाद 2 से 2.50 क्विटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है।
सफेद मूसली की जड़ो में पानी की मात्रा 5%, कार्बोहाइड्रेट 42%, प्रोटीन 8 से 9 %, रूट फाइवर 3% और ग्लाइको साइडल सेपोनिन 2 से 17% तक पाया जाता है।
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सफेद मूसली को बाजार में बेचने की विधि
- सफेद मूसली को बाजार में बेचने से पहले जड़ो को पानी से साफ कर परस्करन के लिए भेजे।
- साफ करने के बाद चाकू या मशीन से छिले
- छिलने के बाद बाजार 3 से 4 दिन धुप में सुखाए
- सुखाने के बाद बाजार में बेच सकते हैं
सफेद मूसली छीलने की मशीन की विडियो देखें –
सफ़ेद मूसली छिलने की वैसे कोई मशीन नहीं है परंतु हमारे देश में बहुत से जुगाड़ होते है तो आपको बता दूँ की काफी सारे किसान भाइयों ने सफ़ेद मुसली छिलने की मशीन बना राखी है आप इसकी विडियो नीचे देख सकते है।
सफेद मूसली का बीज कहा से मिलता है? Safed Musli ka Bij Kahan Milta Hai
अगर आपके आस पास कोई किसान सफेद मूसली की खेती कर रह है तो वहां से बीज उपलब्ध करना बहुत ही आसान है।
अगर आपके आस पास या जिले में कोई किसान नही मिलता तो आप नर्सरी में भी पता कर सकते हैं या कोई व्यपारियो से पता कर सकते है।
इसके अलावा सरकारी क्रषि विश्व विद्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं, भारतीय क्रषि अनुसधान परिषद ओषधीय एव सगधीय पादप अनुसधान निदेशालय में संपर्क कर सकते हैं यह गुजरात मे है।
Email- [email protected]
URL – https://dmapr.icar.gov.in
इसके अलावा आप ऑनलाईन भी मंगवा सकते हैं ऑनलाईन मंगवाने के लिए यह click करे
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सफेद मूसली की पहचान कैसे करें? Safed Musli ki Pehchan Kaise Kare
आज कल बाजार में सफेद मूसलीके नाम पर लोगो को ठगा जा रहा है इससे बचने के लिए आपको सफेद मूसली की पहचान होना जरूरी है तो इसका सही तरीका क्या है पहचान करने का आइये जानते हैं।
सफेद मूसली की जड़ो की पहचान –
अगर सफेद मूसली के ऊपर आप धिरे धीरे अंगुली फेरे गे तो आपको काटे चुभेगे क्यो की जो असली सफेद मूसली होती है उस पर बारीक बारीक काटे होते हैं।
सफेद मूसली के पोधो की पहचान –
सफेद मूसली में लम्बी पतिया ओर चिकनी पतिया होती है
इसके फूल छोटे छोटे होते हैं और फूलो का रंग सफेद होता है पतियो का रंग थोड़ा पिला होता है
सफ़ेद मूसली से जुड़े कुछ FAQs
प्रश्न – मूसली कितने प्रकार की होती है
उतर – सफेद मूसली आयुर्वेद के अनुसार 2 प्रकार की होती है 1. सफेद मूसली, 2. काली मूसली